जिले के 81 समितियों के 122 धान उपार्जन केंद्रों में धान की खरीदी हो रही है। अब तक 83 हजार 453 किसानों से 47 लाख 77 हजार 118 क्विंटल यानी 743 करोड़ रुपए की धान खरीदी हो चुकी है। वहीं 671 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है। जानकारी के मुताबिक राज्य शासन की ओर से 673 करोड़ रुपए की राशि मिली है। करीब 2 करोड़ रुपए किसानों को भुगतान करना बाकी है।
इधर, धान बेचने के बाद भी समय पर भुगतान नहीं होने से किसानों में निराशा है। अब किसान धान का भुगतान पाने के लिए अपना अकाउंट नंबर सुधरवाने समितियों में पहुंच रहे हैं। यही नहीं, तीन महीने पहले जब राज्य सरकार ने किसानों को बोनस का वितरण किया, तो गलत अकाउंट नंबर के कारण किसानों को विलंब से बोनस मिला। कुछ किसानों को अभी तक बोनस के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है। अब धान बेचने के बाद भी वहीं दिक्कत आ रही है।
बैंक अफसरों की मानें तो अधिकतर सोसाइटियों में यही हाल है। किसान अकाउंट नंबर की वजह से बेवजह परेशान हैं। धान का भुगतान समय पर नहीं होने से उनके जरूरी
काम नहीं हो पा रहे हैं। वहीं बैंक के अधिकारी-कर्मचारी पिछले एक महीने से अंकाउंट नंबर सुधारने के काम में उलझे हुए हैं।
रबी फसल के लिए ऋण लेने आगे नहीं आ रहे किसान
सहकारी बैंक रबी फसल में धान को छोड़ अन्य फसलों के लिए ऋण की सुविधा दी है, लेकिन किसान ऋण लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। सभी किसानों को सिर्फ धान की फसल के लिए ऋण चाहिए। धान के लिए ऋण नहीं मिलने से किसान आक्रोश में हैं। जानकारी के मुताबिक सहकारी बैंक अन्य फसलों के लिए 30 करोड़ रुपए का ऋण वितरण करने का लक्ष्य रखा है।
14 लाख क्विंटल का परिवहन बाकी
जानकारी के मुताबिक कई खरीदी केंद्रों में धान की आवक ज्यादा होने से पैर रखने की भी जगह नहीं है। उठाव की धीमी गति के कारण किसान परेशान हैं। जबकि 31 जनवरी तक धान की खरीदी होनी है। अब तक 33 लाख 7 हजार 960 क्विंटल धान का परिवहन हो चुका है। करीब 14 लाख क्विंटल धान का परिवहन करना बाकी है। यदि समय पर उठाव नहीं हुआ, तो खरीदी बंद हो सकती है। वहीं अभी तक कर्जदार किसानों से 166 करोड़ 35 लाख रुपए वसूली हुई है।
महासमुंद के नोडल अधिकारी डीएल नायक ने कहा कि ब्रांच मैनेजर ही बता सकते हैं कि अकाउंट नंबर के कारण कितने किसानों को धान का भुगतान नहीं हुआ है। धीरे-धीरे सभी किसानों को धान का भुगतान कर दिया जाएगा।