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फूलों की खेती ने बदली यहां के किसानों की किस्मत, अब हर साल हो रही है लाखों की कमाई

locationमहासमुंदPublished: Aug 27, 2018 05:44:55 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के किसानों की जिंदगी फूलों की खेती से महक रही है। यहां के किसान धान की फसल को छोड़कर फूलों की खेती कर रहे हैं।

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फूलों की खेती ने बदली यहां के किसानों की किस्मत, अब हर साल हो रही हैं लाखों की कमाई

महासमुंद. किसानों की जिंदगी फूलों की खेती से महक रही है। महासमुंद जिले में वर्ष 2003-04 में फूलों का रकबा शून्य हुआ करता था, वो अब 532 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। आधुनिक तरीके से हो रहे फूलों के उत्पादन से किसानों को फायदा हो रहा है। वे धान की फसल को छोड़कर फूलों की खेती कर रहे हैं। महासमुंद के फूलों की रायपुर के अलावा ओडिशा और महाराष्ट्र में भी सप्लाई हो रही है।
उद्यानिकी विभाग की मानें तो महासमुंद जिला आने वाले वर्षों में फूलों में सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। जिले के किसान अब धान की खेती करने के बजाय अब फूलों की खेती में रुचि ले रहे हैं। पिछले चार सालों में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।
कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति एस.के. पाटिल ने यहां 45 एकड़ में की जा रही फूलों की खेती का जायजा लिया था और किसानों ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन से इसे जोडऩे की मांग भी रखी थी। फूलों के लिए बाजार की उपलब्धता होनी भी जरूरी है। भारत में फूलों की मांग नवरात्रि से दीपावली तक ही अधिक होती है। किसान जुलाई से फूलों की खेती करना शुरू करते हैं। उनकी अक्टूबर-नवंबर में अच्छी कमाई भी हो जाती है।
वहीं गर्मियों में शादियों के सीजन में भी अच्छी मांग रहती है। महासमुंद से गुलाब, गेंदा, सजावटी फूल जरबेरा, ग्लेरिया की अधिक मांग रहती है। उद्यानिकी विभाग किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है। महासमुंद के अलावा ब्लॉक पिथौरा, बागबाहरा में भी फूलों की खेती की जा रही है। यहां छह हजार मीट्रिक टन फूलों का उत्पादन हो रहा है।

बाजार और विशेषज्ञ नहीं
फूलों को सुरक्षित रखने के लिए बाजार और विशेषज्ञ जिले में नहीं हैं। फूलों को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और मंडी की मांग लगातार की जाती रही है। वहीं राष्ट्रीय बागवानी मिशन से भी जोडऩे की मांग की जा रही है, लेकिन इस ओर अब तक कोई प्रयास नहीं हो पाया है।

फूलों से हो रहा फायदा
तुमगांव के किसान अरुण चंद्राकर ने बताया कि उन्होंने गुलाब और रजनीगंधा पॉलीहाउस में लगाया। इसके बाद उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी। वे अब और भी पॉलीहाउस लगाने की सोच रहे हैं। उन्होंने बताया कि फूलों की फसल 2 से 3 माह में खेत से बाजार में पहुंच जाती है। सिंचाई के अच्छे इंतजाम हों तो सालभर फूलों की खेती की जा सकती है।

उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक आर.एस. वर्मा ने कहा कि फूलों की खेती का रकबा बढ़ा है। किसान धान की खेती के बजाय फूलों की खेती करना पसंद कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में महासमुंद जिला फूलों के लिए मुख्य बाजार बन जाएगा। किसान गुलाब, गेंदा की खेती ज्यादा कर रहे हैं। अधिक उत्पादन होने पर यहां के फूल भुवनेश्वर, नागपुर, रायपुर भी भेजे जाते हैं।
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