इन रेत के ढेरों में दर्जनों पेड़ों को माफियाओं ने दफन कर दिया है। ट्रकों में ओवरलोड कर थाने और चौकी के सामने धड़ल्ले से परिवहन किया जाता है, लेकिन खनन माफियाओं के खौफ होने के कारण कार्रवाई नहीं हो रही है। यह पूरा अवैध कारोबार रातभर किया जाता है। ग्रामीण मार्गों पर रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक सिर्फ रेत के ही ट्रक, ट्रैक्टर निकलते हैं। जिससे रेत की धूल और जाम से लोगों को भारी परेशानी होती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि धड़ल्ले से बे-रोकटोक व्यापार किया जा रहा है। दिन में खनन माफिया नदियों का सीना छलनी कर रेत निकालते रहते हैं और रात के अंधेरे में अवैध परिवहन करके रेत का काला कारोबार चला रहे हैं। एक तरफ जिले के आलाधिकारी कहते हैं कि रेत के अवैध उत्खनन को लगातार कार्रवाई करके रोका जा रहा है, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि पूरे जिले में नदी एवं नालों पर होने वाले इस अवैध कारोबार पर जिला प्रशासन के अधिकारियों की नजर अब तक क्यों नहीं पड़ी।
लोगों का कहना है कि अवैध रेत उत्खनन और परिवहन की जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई न होना समझ से परे है। प्रशासन द्वारा पिछले एक साल से क्षेत्र से गिट्टी, रेत, मुरुम के खनन व उत्खनन पर कार्रवाई नहीं होने से माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। पिछले कुछ दिन पहले भी जिला मुख्यालय कुछ गांवों में रेत की जब्ती की गई थी।
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