इस सीट पर सर्वाधिक तीन बार भाजपा के टिकट पर हारने का रिकॉर्ड चन्द्रशेखर साहू के नाम है। विद्याचरण शुक्ल के भाई एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल तथा पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी एक-एक बार इस सीट से जीत दर्ज की है ।
साल 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद बने छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आने के बाद यहां से तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। 2009 और 2014 के चुनावों को छोड़ दें तो इससे पहले कांग्रेस के अलावा कभी किसी पार्टी को लगातार दो बार जीत नहीं मिली है। भाजपा के चंदूलाल ने 2009 और 2014 में लगातार जीत हासिल कर यह चमत्कार कर दिखाया।