scriptमां जैस पवित्र शब्द के साथ स्वदेशी-विदेशी का प्रयोग करना उचित नहीं : राजेश्री महंत | Mahant expressed his views on the statement of MP Pragya Thakur | Patrika News

मां जैस पवित्र शब्द के साथ स्वदेशी-विदेशी का प्रयोग करना उचित नहीं : राजेश्री महंत

locationमहासमुंदPublished: Jul 02, 2020 07:51:13 pm

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CG Desk

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महंत रामसुन्दर दास महाराज ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मां एक पवित्र शब्द है इसके साथ स्वदेशी या विदेशी शब्द जोड़ना उचित नहीं है।

राजेश्री डॉक्टर महंत रामसुन्दर दास महाराज

राजेश्री डॉक्टर महंत रामसुन्दर दास महाराज

महासमुंद। दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास महाराज ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के लिए दिए गए बयान को लेकर कहा कि मां एक पवित्र शब्द है इसका कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है, हम मां को माता, अंबा, जननी आदि पवित्र नामों से संबोधित करते हैं इसलिए मां जैसे पवित्र शब्द के साथ स्वदेशी, विदेशी शब्दों का प्रयोग करना उचित नहीं है। बता दे कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि विदेशी मां की कोख से जन्मा व्यक्ति कभी राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता।
साध्वी प्रज्ञा के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए महन्त महाराज ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर केवल सांसद ही नहीं अपितु वे साधु समाज से भी संबंधित हैं इसलिए उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए, समाज श्रेष्ठ व्यक्तियों से श्रेष्ठतम आचरण की अपेक्षा करता है। आज तक कोई भी व्यक्ति इस संसार में दूसरों की निंदा या भत्र्सना करके बड़ा नहीं बन सका। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से कभी भी इस तरह के वक्तव्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती है, कारण कि वे स्वयं मातृशक्ति से संबंधित हैं इसलिए उनकी जवाबदेही भी अधिक है फि र किसी भी माता का अपमान करना उचित नहीं है। माता शब्द का विस्तृत अर्थ है संपूर्ण धरती ही माता है। इसलिए हम उसे धरती माता कह कर बुलाते हैं। इस परात्पर जगत का सृजन करने वाले परात्पर ब्रह्म की जब हम आराधना करते हैं तब भी हम यही कहा करते हैं कि त्वमेव माता च पिता त्वमेव अर्थात वेदों की इस सूक्ति वाक्य में पिता के पूर्व माता शब्द का ही उपयोग हमारे प्राचीन ऋषि मनीषियों ने किया है।
माता शब्द के साथ स्वदेशी और विदेशी का उपयोग करना निरर्थक

माता सृष्टि करने वाली है इसलिए मां शब्द के साथ किसी भी परिस्थिति में स्वदेशी विदेशी शब्दों का प्रयोग करना निरर्थक है। प्रज्ञा ठाकुर को विशेषकर इन बातों को हमेशा अपने ध्यान में रखना चाहिए राजनीतिक पद प्रतिष्ठा आती-जाती रहती हैं लेकिन वह अभी भी साधु समाज से है और भविष्य में भी रहेंगी इस सृष्टि जगत में जिस भी माता ने किसी भी संतानों को उत्पन्न किया है वह हमेशा वंदनीय है। मातृशक्ति संपूर्ण जगत में चारों युग से प्रतिष्ठित है, इनका निरंतर सम्मान हम सभी को करना ही चाहिए।
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