साध्वी प्रज्ञा के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए महन्त महाराज ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर केवल सांसद ही नहीं अपितु वे साधु समाज से भी संबंधित हैं इसलिए उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए, समाज श्रेष्ठ व्यक्तियों से श्रेष्ठतम आचरण की अपेक्षा करता है। आज तक कोई भी व्यक्ति इस संसार में दूसरों की निंदा या भत्र्सना करके बड़ा नहीं बन सका। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से कभी भी इस तरह के वक्तव्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती है, कारण कि वे स्वयं मातृशक्ति से संबंधित हैं इसलिए उनकी जवाबदेही भी अधिक है फि र किसी भी माता का अपमान करना उचित नहीं है। माता शब्द का विस्तृत अर्थ है संपूर्ण धरती ही माता है। इसलिए हम उसे धरती माता कह कर बुलाते हैं। इस परात्पर जगत का सृजन करने वाले परात्पर ब्रह्म की जब हम आराधना करते हैं तब भी हम यही कहा करते हैं कि त्वमेव माता च पिता त्वमेव अर्थात वेदों की इस सूक्ति वाक्य में पिता के पूर्व माता शब्द का ही उपयोग हमारे प्राचीन ऋषि मनीषियों ने किया है।
माता शब्द के साथ स्वदेशी और विदेशी का उपयोग करना निरर्थक माता सृष्टि करने वाली है इसलिए मां शब्द के साथ किसी भी परिस्थिति में स्वदेशी विदेशी शब्दों का प्रयोग करना निरर्थक है। प्रज्ञा ठाकुर को विशेषकर इन बातों को हमेशा अपने ध्यान में रखना चाहिए राजनीतिक पद प्रतिष्ठा आती-जाती रहती हैं लेकिन वह अभी भी साधु समाज से है और भविष्य में भी रहेंगी इस सृष्टि जगत में जिस भी माता ने किसी भी संतानों को उत्पन्न किया है वह हमेशा वंदनीय है। मातृशक्ति संपूर्ण जगत में चारों युग से प्रतिष्ठित है, इनका निरंतर सम्मान हम सभी को करना ही चाहिए।