scriptफूलों की खेती कर इस जिले के किसान हुए मालामाल, बना रहे नई पहचान | mahasamund farmers rich are cultivating flowers | Patrika News

फूलों की खेती कर इस जिले के किसान हुए मालामाल, बना रहे नई पहचान

locationमहासमुंदPublished: Feb 10, 2018 04:41:56 pm

पूरे जिले में खासकर महासमुंद, बागबाहरा और पिथौरा ब्लॉक में सब्जी की खेती की अच्छी तस्वीर उभर रही है

Cg news
महासमुंद. खेती को नया आयाम देते हुए जिले के प्रयोगधर्मी किसान अपनी लगन और मेहनत से उद्यानिकी में सफलता की नई लकीर खींच रहे हैं। जिले में फल-फूल और सब्जी का रकबा और उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसकी तुलना में वर्तमान और आने वाले वक्त की जरूरतों के हिसाब से बाजार व संसाधनों की उपलब्धता की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिले में जिस खूबसूरती के साथ फूलों की खेती परवान चढ़ रही है, उसे और अधिक लाभकारी बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर मंडी की दरकार है। वहीं कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता भी वर्षों से महसूस की जा रही है।
जानकारी के अनुसार पिछले डेढ़ दशक में जिले में उद्यानिकी फसलों का रकबा और उत्पादन बढ़ा है। विगत कुछ वर्षों में इसकी और तेजी आई है। डेढ़ दशक पहले जिले में सब्जी का रकबा जहां ढाई हजार हेक्टेयर के आसपास था, वह अब 17 हजार हेक्टेयर हो चला है। पूरे जिले में खासकर महासमुंद, बागबाहरा और पिथौरा ब्लॉक में सब्जी की खेती की अच्छी तस्वीर उभर रही है और संभावनाएं भी अपार है। वहीं फूलों की खेती में महासमुंद जिला नई इबारत लिख रहा है। यहां फूलों की खेती का रकबा शून्य से करीब 500 एकड़ तक पहुंच गया है और उत्पादन ६ हजार मीट्रिक टन से पार हो गया है।
जिले में करीब ८० किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। कई खुले खेतों में कर रहे हैं कुछ पालीहाउस बनाकर कर रहे हैं। करीब २५ पालीहाउसों में गुलाब, ग्लेरियस, रजनीगंधा सहित विभिन्न फूलों की खेती की जा रही है। हर पालीहाउस से प्रतिदिन १००० नग गुलाब निकल रहा है। यानी जिले में प्रतिदिन २५ हजार नग गुलाब का उत्पादन हो रहा है। वहीं गेंदा तो टनों में निकल रहा है। अन्य किश्म के फूल भी उपजाए जा रहे हैं।

फूल बेचने रायपुर की दौड़ लगाते हैं किसान
आने वाले कुछ वर्षों में फूलों की खेती का रकबा और उत्पादन काफी ज्यादा होगा। फूल उत्पादक सभी किसान मुख्यत: रायपुर की दौड़ लगाते हैं। महासमुंद के कुछ किसान ओडिशा और महाराष्ट्र भी फूल भेजते हैं, लेकिन ज्यादातर किसान रायपुर में ही अपना फूल बेचते हैं। किसानों का कहना है कि अभी तो उत्पादक कम हैं और डिमांड ज्यादा है। इस कारण फूलों को अच्छा भाव मिल जाता है, खासकर सीजन में, लेकिन जिले में इतनी बड़ी मात्रा में फूलों की खेती हो रही है तो यहां बिक्री का साधन भी होना चाहिए। फूलों की मंडी महासमुंद की निकट भविष्य की आवश्यकता है।

फूलों की नब्ज जानने वाले विशेषज्ञ नहीं
जिले में फूलों का उत्पादन तो रहा है, लेकिन उद्यानिकी विभाग में फूलों की खेती का कोई विशेषज्ञ नहीं है। न ही यहां निजी क्षेत्र में ऐसा कोई जानकार है। किसान स्वयं ही यहां-वहां से जानकारी जुटाकर खेती कर रहे हैं। फूल उत्पादक किसान अरुण साहू का कहना है कि जैसे अन्य फसलों में कीट प्रकोप, बीमारियां होती हैं, उसी तरह फूलों में भी होती है, अन्य फसलों में किसान स्वयं के अनुभव और कृषि विशेषज्ञों की सलाह से फसल का बचाव कर लेते हैं, लेकिन फूलों की नब्ज पकडऩे वाले कोई विशेषज्ञ नहीं हैं। इसके चलते किसानों को दिक्कत होती है।

जिले में उद्यानिकी फसलों का रकबा और उत्पादन बढ़ता जा रहा है। फूलों की खेती में महासमुंद की एक पहचान बन रही है। यहां फूलों की मंडी खुले तो किसानों को और लाभ होगा। कोल्ड स्टोरेज के लिए भी प्रयास चल रहे हैं।
आरएस वर्मा, सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग महासमुंद
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो