पिछले वर्ष सेवा शुल्क में बढ़ोतरी भी की गई है, लेकिन मरीजों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल रही है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय सुविधा को सुदृढ़ कर मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए जीवन दीप समिति का गठन किया गया है। ब्लड टेस्ट समेत विभिन्न सेवाओं के लिए मरीजों से अलग-अलग सेवा शुल्क भी लिया जा रहा है। मरीज को इलाज कराने के पूर्व सबसे पहले १० रुपए की पर्ची बनवाना पड़ता है। प्रतिदिन दो सौ से तीन सौ मरीज जिला चिकित्सालय इलाज कराने पहुंचते है। इसके अनुसार प्रतिमाह जीवन दीप समिति को लाखों रुपए की आवक हो रही है। शासन से भी हर साल लाखों रुपए मिलता है। इसके बावजदू मरीजों को जिला चिकित्सालय में बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि गंभीर रोग से जूझ रहे व्यक्ति को रेफर कर दिया जाता है। जिला चिकित्सालय में अभी भी पुराने एक्सरे मशीन से मरीजों का सुविधा प्रदान की जा रही है। वहीं सोनोग्राफी मशीन भी काफी पुरानी है।
कई बार यह मशीन चलते-चलते बंद हो जाती है। छह महीने पहले जिला चिकित्सालय में सोनाग्राफी मशीन खराब होने के कारण गर्भवती महिलाएं वापस लौट रहे थे। वहीं साफ-सफाई की व्यवस्था भी चरमराई हुई है। वार्डों में सफाई नहीं होती। इसके कारण बदबू आती रहती है। वार्डों के शौचालय का भी यही हाल है। वहीं हृदय रोगियों के लिए अस्पताल में अब तक कोई सुविधा नहीं है। लोगों को रायपुर जाना पड़ता है। जिला अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरके परदल ने बताया कि जीवन दीप समिति द्वारा वसूल हुए रुपए से चिकित्सायल में कार्यरत संविदा कर्मचारियों का वेतन दिया जाता है। इसके अलावा सफाई, छोटे-छोटे खर्च एवं दवाईयों का विक्रय किया जाता है। बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने समेत अन्य जरूरत समानों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है।
जिला चिकित्सालय के अधीक्षक आरके परदल ने कहा कि जीवनदीप समिति द्वारा प्राप्त हुए रुपए का संविदा कर्मचारियों के वेतन के साथ अन्य सामग्रियों के लिए खर्च करते है।