महासमुंद

सैकड़ों मजूदरों के उड़ गए होश जब दूसरे के खाते में जमा हो गए लाखों रुपए, मचा हड़कंप

आधार लिंकेज बैंक खातों में भेजी गई राशि दूसरों के खातों में चली गई है।

महासमुंदJun 02, 2018 / 03:52 pm

चंदू निर्मलकर

सैकड़ों मजूदरों के उड़ गए होश जब दूसरे के खाते में जमा हो गए लाखों रुपए, मचा हड़कंप

महासमुंद. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत पंचायतों में कराए गए कार्यों का भुगतान जारी होने के महीनों बाद भी मजदूरों के खाते में राशि नहीं पहुंच पाई है। पता चला है कि मजदूरों के आधार लिंकेज बैंक खातों में भेजी गई राशि दूसरों के खातों में चली गई है। महासमुंद जनपद क्षेत्र की गई पंचायतों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं। इससे मजदूर तो परेशान हैं ही, उनके सवालों की बौछार से पंचायत प्रतिनिधि भी परेशान हैं। वहीं अफसर जांच-पड़ताल जारी होना बता रहे हैं।
जानकारी के अनुसार सूखा के चलते इस साल मनरेगा के तहत ज्यादातर पंचायतों में तालाब गहरीकरण के कार्य कराए जा रहे हैं। हर जगह 4-6 लाख के कार्य हैं और डेढ़-दो सौ मजदूर लगे हैं। कई पंचायतों में यह कार्य हो चुका है और इसमें काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी का भुगतान भी जारी हो गया है, लेकिन मजदूरों को राशि नहीं मिली है। जनपद कार्यालय में पिछले कई दिनों से मनरेगा मजदूर यह जानने के लिए पहुंच रहे हैं कि मजदूरी की राशि उनके खाते में कब आएगी। कुछ दिन पहले पटेवा पंचायत के मनरेगा मजदूर जनपद कार्यालय पहुंचे थे।
बताया जा रहा है कि उन्हें मजदूरी का पैसा नहीं मिला है, तब जनपद के अधिकारियों द्वारा कहा गया कि राशि भेजी जा चुकी है, अपने आधार नंबर से लिंक बैंक खाते की जांच करें। मजदूरों ने बताया कि वे बैंक जाकर भी पता कर लिए हैं, खाते में राशि नहीं आई है। इसके बाद छिलपावन, बोडऱा आदि पंचायतों से भी मनरेगा मजदूर इसी प्रकार की शिकायत लेकर जनपद पहुंचने लगे। इन पंचायतों के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक भी जनपद के अफसरों के सामने शिकायत करने लगे, क्योंकि मनरेगा को पैसा नहीं मिलने से उन्हें मजदूरों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।
जनपद के अफसर भी हैरान कि जिन मजदूरों के खाते में राशि जारी हो चुकी है, उनके खाते में राशि अब तक क्यों नहीं पहुंची है। पता चला है कि यह राशि दूसरों के खातों में चली गई है। आधार नंबर के आधार पर उससे लिंक बैंक खातों में राशि भेजने में कहीं न कहीं तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। इसकी पड़ताल अभी चल रही है। यह दो-चार मजदूरों का मामला नहीं है, बल्कि कई गांवों के सैकड़ों मनरेगा मजदूरों से जुड़ा मामला है। जानकारी के अनुसार मामले को लेकर जिले के शीर्ष अधिकारियों में भी गहरी नाराजगी है। ऐसे भी कई मामले में हैं, जिनमें साल-डेढ़ साल होने के बाद भी मनरेगा की मजदूरी संबंधित मजदूर के खाते में नहीं पहुंची है। अधिकारियों का कहना है कि कई जिलों में ऐसी शिकायत आ रही है।

ज्यादातर शिकायत झलप-पटेवा क्षेत्र की
जनपद के अफसरों का कहना है कि अभी तक जितनी भी पंचायतों से ऐसी शिकायत आ रही है, उन सभी पंचायतों के ज्यादातर मजदूरों के खाते ग्रामीण सहकारी बैंक झलप में हैं। वहीं से कोई त्रुटि हुई है, जिसके चलते मजदूरों के खातों में भेजी गई राशि दूसरों के खाते में चली गई है। इस संबंध में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मैनेजर से भी बात की गई है। उनका कहना है कि दूसरों के खाते में राशि गई है तो इसकी वसूली करेंगे। हालांकि इस बात का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है कि मजदूरों के आधार लिंकेज बैंक खाते में जाने के बजाय राशि दूसरों के खाते में कैसे चली गई।

जिनके खातों में पैसा गया वो निकाल लिए
मनरेगा मजदूरों का पैसा जिन दूसरों के खातों में गया है, वे भी इसी बैंक के खाताधारी सामान्य मजदूर किसान हैं। यह भी पता चला है कि जिनके खातों में पैसा गया है, उनमें से कई निकालकर खर्च भी कर चुके हैं, यह सोचकर कि बोनस का पैसा होगा या किसी योजना का। इससे मामला और उलझ गया है। सवाल है कि, अब उन मजदूरों का क्या होगा, जिन्होंने सूखे के इस कठिन दौर में चार पैसे मिलने की उम्मीद में पसीना बहाया है, उन्हें मजदूरी का पैसा आखिर कब मिलेगा? बैंक अधिकारी वसूली की बात कह रहे हैं, तो जब तक वसूली नहीं होगी तब तक क्या मजदूरों को राशि नहीं मिलेगी?

मैंने कलक्टर और जिला पंचायत सीईओ को अवगत करा दिया है। जांच अधिकारी भी नियुक्त कर दिए गए हैं। झलप-पटेवा क्षेत्र से ज्यादा शिकायतें हैं। आधार के कारण थोड़ी समस्या हो रही है। जल्द ही ठीक कर लेंगे। लीड बैंक मैनेजर सहित सभी बैंकों के मैनेजर्स से मैंने बात की है कि यह समस्या क्यों आ रही है। पता चला है कि कई अन्य जिलों में भी ऐसी समस्या आ रही है।
आभा तिवारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत महासमुंद
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