बिगड़ रहे पर्यावरण की मार कौओं पर भी पड़ रही है। स्थिति यह है कि श्रद्धा में अनुष्ठान पूरा करने के लिए कौआ तलाशने से भी नहीं मिल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से नगर व अंचलों में कौओं की संख्या कम हो गई है। कौंआ सर्वाहारी पक्षी होता है कर्ण कर्कश आवाज में कांव-कांव करने वाला काले रंग का पक्षी कौआ बहुत उद्दंड, धूर्त और चालाक पक्षी माना जाता हैं। वह सड़ा-गला पदार्थ, अनाज, दाल, जिंदा मृत चूहे कीट पतंगे टिड्डे, फूल आदि खाते हैं। इस तरह इसकी भूमिका पर्यावरण को स्वच्छ रखने की भी है।