इस मार्ग पर और आसपास गांवों में अनहोनी की आशंका से ग्रामीण भयभीत हैं। कुछ दिनों पहले एक दंतैल आया था, उसने एक पीढ़ी के कमार डेरा में एक महिला को मार डाला था। अब 10 हाथी आ चुके हैं और आशंका है कि क्षेत्र को पिछले दो साल से विचरणगाह बनाए 19 हाथियों में से शेष हाथी भी धमकने वाले हैं। क्योंकि क्षेत्र में रबी सीजन के धान की बालियां निकलने वाली हैं।
पिछले साल भी इसी समय हाथी क्षेत्र में आए थे और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया था। इस बार भी यही हो रहा है। शनिवार रात करीब 9 बजे से रविवार सुबह 5 बजे तक मोहकम में 5 हाथियों ने कन्हैया पटेल के 20 एकड़ रकबे में धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। उनके खेतों में धान की बालियां निकलने वाली थीं।
फसल की रखवाली के लिए कन्हैया पटेल रात में खेत में ही रुकते थे, लेकिन हाथियों के डर से इस रात खेत में नहीं रुके थे। तडक़े पांच बजे अपने खेत पहुंचे तो पांच हाथी खेत से निकल रहे थे। खेत से निकलकर हाथी मरघट नाला में रुके थे। वहीं सुबह 5 बजे ही तीन हाथियों का दूसरा दल सेनकपाट के पास विचरण कर रहा था, जिसे गांव के उदेराम यादव ने देखा।
वहीं दो हाथी अमलोर के पास थे। यानी कुल 10 हाथी देखे गए हैं। इनमें से 6 हाथी रविवार शाम को लहंगर के पास रोड किनारे नजर आए। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-53 कौंआझर से पिरदा-गुड़रूडीह-लहंगर-सिरपुर मार्ग पर हाथियों का खौफ छा गया था। इस मार्ग के राहगीर अचानक अपने करीब हाथियों को देखकर डर के मारे भागने लगे। आवागमन ठप हो गया। हाथियों के डर से सभी प्रकार के यात्री वाहन रुक गए।
गुड़रूडीह और लहंगर के बीच रास्ता बंद-सा हो गया है। रास्ते में फंसे लोग घर कैसे जाएं, इस चिंता में परेशान रहे। ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग को खबर देने के बाद भी विभाग का गश्ती दल रात तक नहीं पहुंचा था। हालांकि सिपाही जगतूराम वहां मौजूद थे।