पडक़ीपाली गांव चारों तरफ से पहाडिय़ों से घिरा है और आदिवासी बाहुल्य है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से यहां के लोग दुहानी नाला पर पुल निर्माण की मांग कर रहे थे। जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन भी दिया, पर पुल निर्माण का सपना साकार नहीं हो सका। जानकारी के मुताबिक बारिश के चार महीने नाला में उफान होने पर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। ऐसे में नाला पार करना जान जोखिम में डालने से कम नहीं था। ज्ञात हो कि पडक़ीपाली गांव जिला मुख्यालय से 18 किमी और नेशनल हाइवे-353 से दो किमी दूर है और आबादी सिर्फ 700 है।
90 फीसदी लोग आदिवासी हैं। हद तो यह है कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन की अनदेखी की वजह से गांव के लोग दुहानी नाला पर लकड़ी का अस्थाई पुल बनाकर आवाजाही कर रहे थे। जब ग्रामीणों की मांग को जनप्रतिनिधि और प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया, तब ग्रामीणों ने ठानी कि अब वे खुद ही इस समस्या का समाधान करने की कोशिश करेंगे। फिर ग्रामीणों ने मिलकर श्रमदान कर सीमेंट का पुल बनाने का निर्णय लिया। कड़े परिश्रम के बाद ग्रामीणों ने दुहानी नाला पर सीमेंट का पुल निर्माण कर लिया। पुल की लंबाई करीब 40 फीट, ऊंचाई 7 फीट और चौड़ाई करीब 3 फीट है।
ग्रामीण भागवत ध्रुव ने बताया कि शासन-प्रशासन पडक़ीपाली के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। राज्य निर्माण के बाद से गांव के लोगों को सडक़ व पुल नसीब नहीं है। अब कांग्रेस की नई सरकार से उम्मीदें हैं।
विधायक द्वारिकाधीश यादव ने बताया कि एक छोटे से गांव में अब तक पुल नहीं बनना आश्चर्य की बात है, लेकिन अब पडक़ीपाली के लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। गांव के दुहानीनाला में अगले वर्ष बरसात के पहले एक अच्छी सडक़ के साथ पुल का निर्माण होगा। वहीं इस मार्ग को हाड़ाबंद तक नेशनल हाईवे-353 में जोड़ दिया जाएगा। इसके साथ ही गांव में सामुदायिक भवन के लिए सात लाख की राशि स्वीकृति दिलाई है।
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