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डिलीवरी के 12 घंटे बाद प्रसूता की हुई मौत, परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर किया हंगामा

locationमहासमुंदPublished: Apr 26, 2019 02:53:32 pm

Submitted by:

Bhawna Chaudhary

जिला अस्पताल में एक बार फिर इलाज में लापरवाही का मामला सामने आया है। डिलीवरी के 12 घंटे के बाद प्रसूता की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

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डिलीवरी के 12 घंटे बाद प्रसूता की हुई मौत, परिजनों ने लापरवाही का लगाकर जमकर किया हंगामा

महासमुंद. छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के जिला अस्पताल में एक बार फिर इलाज में लापरवाही का मामला सामने आया है। डिलीवरी के 12 घंटे के बाद प्रसूता की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया। परिजनों और चिकित्सक के बीच झूमाझटकी भी हुई। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।

परिजनों ने ड्यूटी में उपस्थित डॉक्टर व नर्सों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जानकारी के मुताबिक ग्राम बेमचा की अनिता कहार को डिलीवरी के लिए 23 अप्रैल की सुबह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार की सुबह प्रसव के पूर्व सोनोग्राफी की गई। इससे पता चला कि बच्चा पलट गया है। इसके बाद चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया। 24 अप्रैल को दोपहर 12 बजे महिला ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। रात 9 बजे तक अनिता का स्वास्थ्य ठीक था। वह परिजनों, डॉक्टर व नर्स से बातचीत भी की। थोड़ी देर बाद अनिता की तबियत खराब होने लगी।

परिजनों ने अस्पताल स्टॉफ को इसकी जानकारी दी। इसके बाद महिला का उपचार शुरू किया गया। बताया जाता है कि महिला को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इस कारण उसे ऑक्सीजन भी लगाया गया, लेकिन रात करीब साढ़े 10 बजे उसकी मौत हो गई। घटना के बाद परिजन आक्रोशित हो गए और अस्पताल परिसर में हंगामा करने लगे। इसकी जानकारी स्टॉफ ने पुलिस और उच्चाधिकारियों को दी।

इधर, मृतका के पति यशंवत कहार का कहना है कि इलाज में देरी होने से उसकी पत्नी की जान चली गई। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. एनके मंडपे और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। परिजनों ने पुलिस से न्याय की मांग करते हुए शव के पीएम की मजिस्टे्रट जांच कराने की मांग की। गुरुवार सुबह थाना प्रभारी दीपा केंवट व नायब तहसीलदार नीता आसरे ने यशवंत कहार व उसके परिजनों का बयान पंजीबद्ध किया।

ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में प्रसूति वार्ड में भर्ती महिला की मौत की यह दूसरी घटना है। करीब तीन वर्ष पूर्व इसी तरह एक और महिला की मौत हो गई थी। जिस पर भी अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ था। मामला इतना बढ़ा था कि जनप्रतिनिधियों ने मामले को लेकर चक्काजाम भी कर दिया था। लगातार दबाव के बाद शासन को चिकित्सक पर कार्रवाई करनी पड़ी थी।

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