देखते ही देखते हॉस्पिटल के विरोध में परिजनों एवं ग्रामीणों का साथ देने आई नगर की जनता भी उबल पड़ी और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रशासन को ही उसकी मौत का जिम्मेदार बताया। दो घंटे तक सड़क जाम करने के कारण सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई।
सूचना मिलने पर जिला मुख्यालय से एसडीएम प्रेमप्रकाश शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय धु्रव तथा एसडीओपी रूपेश डाण्डे मौके पर पुलिस बल के साथ पहुंचे। उन्होंने समझा बुझाकर लोगों को शांत तो कराया, लेकिन जनता तब तक अड़ी रही, जब तक निजी हॉस्पिटल को सील करने व डॉक्टर को गिरफ्तार किए जाने की मांग प्रशासन से नहीं मनवा ली।
मौके की नजाकत समझते हुए जिला मुख्यालय से पहुंचे उच्च अधिकारियों ने फौरी कार्यवाही करते हुए हॉस्पिटल को सील करने तथा डॉक्टर व संचालक को पुलिस अभिरक्षा में लिए जाने का आदेश दिया। तब लोगों का गुस्सा शांत हुआ। इसी बीच परिजन शव का अंतिम संस्कार किए जाने के लिए आर्थिक सहायता की गुहार लगाई।
तब एसडीओपी रूपेश डाण्डे ने 10 हजार रुपए की सहायता राशि मुहैया कराई और लोगों ने चक्काजाम समाप्त किया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए शासकीय अस्पताल पहुंचाया। पोस्टमार्टम के बाद शव को उसके परिजनों को सौंप दिया गया। समाचार लिखे जाने तक बागबाहरा पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी। चूंकि खल्लारी पुलिस के क्षेत्राधिकार में मर्ग कायम होने से यहां की जांच रिपोर्ट वहां प्रेषित करने के बाद अपराध पंजीबद्ध किए जाने का संज्ञान लिया जाएगा।
मेकाहारा पहुंचने के पहले हो गई थी मौत
हताश परिजन 13 सितंबर की सुबह 9 बजे लेखराम को लेकर बागबाहरा शासकीय अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने आधे घंटे के अंदर उसे मेकाहारा रायपुर रेफर किया। जहां लेखराम भर्ती होने के बाद इलाज चालू होने के पूर्व ही उसकी मौत हो गई। इस मौत की खबर से बीकेबाहरा के आक्रोशित ग्रामीणों ने परिजनों के साथ बागबाहरा निजी नर्सिंग होम के सामने शव को राष्ट्रीय राजमार्ग पर रखकर प्रदर्शन कर सड़क जाम कर दिए और प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर और प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
हताश परिजन 13 सितंबर की सुबह 9 बजे लेखराम को लेकर बागबाहरा शासकीय अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने आधे घंटे के अंदर उसे मेकाहारा रायपुर रेफर किया। जहां लेखराम भर्ती होने के बाद इलाज चालू होने के पूर्व ही उसकी मौत हो गई। इस मौत की खबर से बीकेबाहरा के आक्रोशित ग्रामीणों ने परिजनों के साथ बागबाहरा निजी नर्सिंग होम के सामने शव को राष्ट्रीय राजमार्ग पर रखकर प्रदर्शन कर सड़क जाम कर दिए और प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर और प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
पूरे शरीर पर हो गया था संक्रमण, इसलिए रायपुर किया गया रेफर
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम- बीकेबाहरा का मृतक लेखराम यादव गत 14 अगस्त को कुत्ता काटने पर नगर के निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने पहुंचा था, वहां के डाक्टर से मिली जानकारी के अनुसार मरीज को एंटी रैबीज का इंजेक्शन तो लगाया, लेकिन गहरे घाव को टांके लगाकर उसका इलाज 12 सितंबर तक करते रहे। इस दौरान नर्सिंग होम के डाक्टर ने मरीज से 16 हजार रुपए भी वसूले।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम- बीकेबाहरा का मृतक लेखराम यादव गत 14 अगस्त को कुत्ता काटने पर नगर के निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने पहुंचा था, वहां के डाक्टर से मिली जानकारी के अनुसार मरीज को एंटी रैबीज का इंजेक्शन तो लगाया, लेकिन गहरे घाव को टांके लगाकर उसका इलाज 12 सितंबर तक करते रहे। इस दौरान नर्सिंग होम के डाक्टर ने मरीज से 16 हजार रुपए भी वसूले।
जानकार बताते हैं कि कुत्ते काटने पर डॉक्टर घाव को टांके लगाने से बचते हैं। इससे दूसरे अंग प्रभावित हो सकते हैं। यहां तक डॉक्टर घाव पर भूलकर भी कपड़ा नहीं बांधते। जख्म को बेहद जरूरी न होने तक जख्म को बंद नहीं किया जाता। टांके लगाने पर कुत्ते के काटने का जहर खतरनाक होकर पूरे शरीर में संक्रमित हो जाता है।
इस तरह लेखराम के शरीर में संक्रमण होता रहा, जब वह बहुत ही असहनीय पीड़ा पर 12 सितम्बर को वहां पहुंचा तो डॉक्टरों ने इलाज करने से पहले 12 हजार रुपए की मांग की। चूंकि परिजन 12 हजार की रकम देने में असमर्थ थे, इसलिए वे स्मार्ट कार्ड के बल पर महासमुंद के एक नर्सिंग होम में पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने मरीज को देखकर कहा कि रैबीज के कीटाणु पूरे शरीर में संक्रमित हो चुके हैं और उसका बचना असंभव है।