देख रहे है न सीएम साहब एक और किसान ने अपनी लीला समाप्त कर ली। फांसी पर लटका ये किसान सरकारी सिस्टम का भी मारा है। सिंचाई के लिए सरकार द्वारा कोई व्यवस्था न कराए जाने से बुन्देलखण्ड के किसानों की फसल हर बार दगा दे जाती है। महोबकंठ थाना क्षेत्र के ग्राम रुरिकलां में रहने वाले 55 वर्षीय किसान रामस्वरूप पुत्र झल्ली पटेल अपनी बर्बाद हो चुकी फसल का सदमा नहीं सह सका। दरअसल किसान ने कुछ माह पहले खेत में सिचाई के लिए बोर कराकर टरबाइन पम्प लगवाया था। जिसके लिए उसने गांव के ही साहूकारों से 2 लाख रुपये का कर्ज लिया था। उसे उम्मीद थी कि सिचाई व्यवस्था होने से उसकी फसल अच्छी हो जाएगी। मगर खरीब की फसल में कुछ पैदा ही नहीं हुआ। किसान पर एक तो कर्ज ऊपर से परिवार के पालन की चिंता। उस पर आर्थिक तंगी झेल रहे किसान ने रवि की फसल भी वुबाई नहीं की। खेत मे सिंचाई कैसे होती जब डीजल लेने के लिए ही किसान के पास पैसे नहीं थे। किसान काफी समय से इसी बात को लेकर चिंतित था।
आज सुबह किसान खेत के लिए निकला तो वापस ही नहीं लौटा। परिवार और ग्रामीण के लोगों ने देखा कि किसान ने पेड़ से लटककर अपनी जान दे दी है। किसान की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। किसान की मौत की खबर लगते ही थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और शव को नीचे उतार कर उसका पंचनामा भरा। मृतक किसान का भाई मुंयालाल बताता है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। सदमे में उसने ये कदम उठाया है।
वहीं गांव के पूर्व प्रधान कृपाल पटेल बताते है कि मृतक किसान रामस्वरूप कर्ज और फसल बर्बाद से खासा चिंतित था। उस पर साहूकारों का कर्ज था जिसे वो चुकाने में असमर्थ था। खेती में भी कुछ नहीं हुआ और घर में भी आर्थिक किल्लत चल रही थी।