किसान ने पुलिस को बताया कि वह खेत में सिंचाई कर रहा था। दोनों बच्चेे खेत में बनी मेड़ पर लगे नीम के पेड़ पास खेल रहे थे। दोपहर करीब एक बजे खेलने के दौरान खेत में ही खुले पड़े बोरवेल के करीब 30 फीट गहरे गड्डे में धनेंद्र जा गिरा। काफी देर तक धनेंद्र गड्ढे से बाहर नहीं निकला, तो रेखा ने उन्हें सूचना दी। वह गड्ढे के पास पहुंचे, तो धनेंद्र के रोने की आवाज आ रही थी। उन्होंने फौरन घटना की सूचना पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही गांव वालों को दी। इसके बाद धनेंद्र की जान बचाने का काम शुरू हुआ।
बच्चे की जान बचाने का काम जारी
भागीरथ के मुताबिक थोड़ी देर बाद एसडीएम मोहम्मद उवैस, कुलपहाड़ थाना प्रभारी अनूप दुबे दलबल के साथ वहां पहुंच गए। पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से बच्चे को निकालने का प्रयास किया। जब सफलता नहीं मिली, तो फायर ब्रिगेड और डॉक्टरों की टीम के साथ 3 जेसीबी को बुलाया गया। पुलिस ने मौके पर इकट्ठा भीड़ को हटाकर गड्ढे के पास घेराबंदी की। इसके बाद 3 जेबीसी से गड्ढे के आस-पास खुदाई का काम शुरू कराया गया। इसी बीच डॉक्टरों ने बच्चे की जान बचाने के लिए पाइप के सहारे ऑक्सीजन गड्ढे में पहुंचाने का काम किया। समाचार लिखे जाने तक बच्चे की जान बचाने का काम जारी है। प्रशासन के मुताबिक 20 से 25 फीट गड्ढा खोदा जा चुका है। लगभग डेढ़ घंटे में बच्चे को बचा लिया जाएगा।
किसान ने सिंचाई के लिए खुदवाया था गड्ढा
किसान भागीरथ कुशवाहा ने खेत में सिंचाई के लिए जुलाई माह में बोरवेल का गड्ढा खुदवाया था, लेकिन नहीं निकला। इसके बाद किसान ने गड्ढा बंद नहीं कराया था। उसे एक पत्थर से ढक दिया था। अफसर अभी इस बात की जांच कर रहे हैं कि बच्चों के खेलने के बाद गड्ढे के ऊपर से पत्थर हट गया था अथवा पहले से हटा हुआ था। धनेंद्र के बोरवेल के गड्ढे में गिरने की सूचना मिलते ही मां क्रांति देवी महोबा से अपने गांव के लिए चल पड़ी। करीब दो घंटे के बाद क्रांति अपने खेत में पहुंच गई और हमार बऊआ कहां है कह कर रोते हुए गड्ढे के पास बैठ गए। पत्नी की हालत देखकर भागीरथ भी खुद को नहीं रोक सके। वह भी दहाड़े मार कर रो पड़े। इस दौरान दोनों रोते-रोते बेहोश हो गए। धनेंद्र के बोरवेल में गिरने का पता चलने पर उसकी बहनों रेखा और नित्या का रो-रोकर बुरा हाल है।