घी की जगह मिलावटी घी थमाया जा रहा
जानकार बताते है कि शुद्ध देशी घी की जगह मिलावटी घी थमाया जा रहा है तो वहीं आलू की तोल भी कम निकल रही है। जिससे लाभार्थियों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। पनवाड़ी में राहत किट वितरित की जा रही थी कि अचानक कुछ ग्रामीणों ने किट से सामान निकाल कर उसे दिखाया कि कैसे ब्रांडेड सामान देने के नाम पर खेल हो रहा है। घी से लेकर दूध और नमक तक में छलावा किया जा रहा है। दूसरे दिन पनवाड़ी विकास खंड कार्यालय में सूखा राहत किट का वितरण नायब तहसीलदार लखन लाल राजपूत की देखरेख में हो रहा था। 16 ग्रामों के अन्त्योदय कार्ड धारकों को 12 बजे से सूखा राहत किट का वितरण शुरु हुआ। पहले नायब तहसीलदार ने किट का डिब्बा खोल कर चेक किया। जिसमें मोहक नाम का शुद्ध घी का डिब्बा निकलने पर नायब तहसीलदार ने उपजिलाधिकारी कुलपहाड़ को अवगत कराया।
हलफनामा लेकर गलती को सुधार कराया
वहीं कुछ ग्रामीणों को आलू कम होने की शंका पर नायब तहसीलदार उसकी तौल कराई गई। वैसे टेंडर के समय ही इस पर सवाल उठे थे। उस समय अधिकारियों ने भी ठेकेदार का साथ देते हुए बाद में हलफनामा लेकर गलती को सुधार कराया था। जिन लोगों को राहत पैकेट मिल चुका है। उन ग्रामीणों का कहना है कि दूध और घी के स्वाद से नहीं लगता कि यह ब्रांडेड कंपनी का माल है। देशी घी में तो कोई महक ही नहीं है। फिलहाल गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं है। अधिकारी से लेकर नेता सभी बस पैकेट बांटने में व्यस्त दिखे। किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाए कि जो माल दिया जा रहा है वह मानक पर कितना खरा है।
भ्रष्टाचार का खेल
आपको बता दें कि इसी तरह सपा सरकार में भी राहत पैकटों के नाम पर गरीबों के साथ छलावा किया गया था। तो अब बीजेपी सरकार में भी राहत पैकटों के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल होता दिखाई पड़ रहा है।