scriptआपदा का केंद्र बना बुंदेलखंड, एक और किसान ने लगाया मौत को गले | farmer died in mahoba up hindi news | Patrika News

आपदा का केंद्र बना बुंदेलखंड, एक और किसान ने लगाया मौत को गले

locationमहोबाPublished: Feb 28, 2018 08:32:17 am

सूखे बुन्देलखण्ड में दैवीय आपदा किसानों के लिए नासूर बना है ।

mahoba

महोबा. सूखे बुन्देलखण्ड में दैवीय आपदा किसानों के लिए नासूर बना है । कर्ज और मर्ज से परेशान किसान या तो आत्महत्या कर रहा है या पलायन के लिए मजबूर है, तो वही अन्ना प्रथा किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर रहा है। ऐसे में मजबूर किसान पूरी तरह हताश होकर मौत का रास्ता चुनने के लिए मजबूर है । आपदा का सबसे बड़ा केंद्र महोबा जनपद है । जहां साल दर साल किसानों की मौतों में इजाफा हो रहा है । आज फिर एक किसान ने अपनी बर्बाद फसल देख मायूसी में मौत के फंदे से लटक गया किसान की मौत से परिवार में कोहराम मचा है।


बुन्देलखण्ड, ये वही नाम है जिसे सियासत दानों ने अपने सियासी फायदे के लिए खूब इस्तेमाल किया । कई सरकारें आई और गई मगर बुन्देलखण्ड की बदहाल तस्वीर कभी नही बदली और न ही यहां के किसानों की तकदीर में कोई बदलाव आया । पिछले दस वर्षों से यहां का किसान ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और सूखे की मार झेल रहा है । सिंचाई के संसाधन न होने से बेहतर फसलों की उम्मीद करना भी बेइमानी है । पूर्व की सरकारों ने यहां के सूखे और किसानों को मुद्दा बना कर अपने राजनीतिक फायदे उठाये हैं । मुआवजे के नाम पर यहां के किसानों जे साथ ऐसा भद्दा मजाक किया गया जो आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है । कर्ज माफी के नाम पर दस रुपये और पंद्रह रुपये की चेक वितरित की गयी। सरकार बदली और किसानों को उम्मीद जगी लेकिन आज भी हालत जस के तस है । 2017 के चुनाव में किसानों को अपना हितैषी बताने वाली केंद्र की बीजेपी सरकार ने यहां वाटर ट्रेन भेज कर सियासी पारा गर्म कर दिया था और खुद को बुन्देलियों का सबसे बड़ा हमदर्द बताया था । लेकिन अफसोस सरकार बनने के बाद से किसानों का हमदर्द बनना तो दूर मुआवजे की मांग कर रहे किसानों पर गोलियां तक बरसाई।


ऐसे में किसान सरकार से मदद की उम्मीद ही खो बैठा है। इस क्षेत्र में दैवीय आपदाओ के अलावा अन्ना जानवर सबसे बड़ी समस्या है । बैंक और साहूकारों से कर्ज लेकर किसी तरह खेत में फसल की उम्मीद लगाए किसानों के अरमानों पर अन्ना जानवर पूरी तरह पानी फेर रहे है । सैकड़ो का झुंड किसान के खेत मे घुसकर फसलों को चट कर रहा है । महोबा के खरेला क्षेत्र की बात करे तो यहां के गाँव पहरेता में एक 52 वर्षीय किसान ओमप्रकाश पांडेय ने अन्ना जानवरो से बर्बाद फसल को देख फांसी के फंदे से मौत को गले लगा लिया । दरअसल ओमप्रकाश पांडेय और उसके दो भाइयों के पास सिर्फ सात बीघा खेती है । इस खेती पर ही पूरा परिवार आश्रित है । अविवाहित ओमप्रकश अपने दोनों भाइयों के परिवार को पालने के लिए इसी खेत में दिन रात मेहनत करता था । लेकिन पिछले कई वर्षों से खेत मे फसल न के बराबर हो रही थी । शायद यही वजह है कि 2014 मे ओमशंकर ने यूपी ग्रामीण बैंक से दो लाख छिहत्तर हजार का कर्जा लिया था तो वही साहूकारों का भी किसान पर तकरीबन एक लाख का कर्जा था । उसे उम्मीद थी कि इस वर्ष फसल अच्छी होने पर वो अपने कर्ज को चुका पायेगा । लेकिन अन्ना जानवर उसकी मेहनत को ही खा गए । आज जब किसान अपने खेत पर पहुँचा तो बर्बाद फसल देख पूरी तरह टूट गया और घर आकर फांसी के फंदे से लटक कर हमेशा के लिए सो गया। किसान के इस कदम से कोहराम मचा है। सूचना मिलते ही थाना पुलिस ने शव लेकर पीएम को भेज दिया है । मृतक किसान के परिजन बताते है कि घर के हालात ठीक नही थे जिसके चलते किसान मायूस बना रहता था । उसे कर्ज माफी का भी लाभ नही मिला ऊपर से अन्ना जानवरो ने उसकी फसल को बर्बाद कर दिया ।


पडोसी ब्रजभान बताता है कि उनके गांव में पिछले तीन महीनों में अब तक दस किसानों ने आत्महत्या कर ली है। यहां का किसान फसल रखवाली के लिए रात-रात भर जागता है लेकिन आवारा जानवरों का झुंड उनकी फसलों को तहस महस कर देते हैं। सरकार अन्ना प्रथा पर लगाम लगाने के खूब दावे करती है । अगर ऐसा ही चलता रहा तो किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला बढ़ता ही जायेगा। बुंदेली किसान योगी सरकार से अन्ना प्रथा पर लगाम लगाने की उम्मीद लगाए बैठा है।


इस पूरे मामले को लेकर एसडीएम चरख़ारी चंद्रशेखर जाँच की बात कह रहे हैं। बहरहाल सियासी नफा नुकसान के लिए बुन्देलखण्ड की गरीबी को खूब उछाला जा रहा है ।मगर इसका लाभ यहां के किसानों को न तो मिला है न ही मिलने की उम्मीद नज़र आ रही है। अब देखना यह है कि सरकार बनने से पहले किसानों की हमदर्द रही बीजेपी कब और कैसे अन्ना प्रथा को लेकर स्थायी समाधान करती है।

ट्रेंडिंग वीडियो