महोबा जिले में स्वास्थ सेवाओं का हाल दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। जिसकी बानगी आज प्रसव पीड़ा से परेशान दो गर्भवती महिलाओं के साथ हुई घटनाओं में देखने को मिली है। पहली घटना महोबकंठ थाना क्षेत्र के लोहरगांव गांव में रहने वाली 23 वर्षीय जयंती के साथ घटित हुई है। जिसमे इलाज के अभाव में जच्चा बच्चा की सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पहुंचने से पहले ही मौत हो गयी है । मृतिका के पति हरप्रसाद और ससुर बद्रीनाथ ने बताया कि बैंदों गांव में महिला डॉक्टर द्वारा रिफर किये जाने के बाद उसे लेकर अस्पताल आये थे लेकिन यहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
तो वहीँ दूसरी घटना महोबा जिला अस्पताल की है जहां श्रीनगर कस्बे से एक प्रसूता को दर्द उठा तो प्रसूता के परिजन उसको जिला अस्पताल एक टेम्पो में लेकर लाये। अस्पताल के गेट पर प्रसूता का पति अस्पताल कर्मियों से महिला को भर्ती करने स्ट्रेचर लाने की विनती करता रहा लेकिन अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उसे स्ट्रेचर तो क्या पास आकर देखने तक कि जहमत नहीं की। जब प्रसूता के पति,सास और राहगीरों द्वारा महिला को सड़क पर लिटाया गया और एक चादर से घेरकर उसकी डिलेवरी करवाई गई तब कही मीडिया के दखल के बाद स्वास्थ्य महकमा जागा और महिला और उसके नवजात बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
महिला का पति जानकी प्रसाद बताता है कि पहले वो अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीनगर लेकर गया था जहां उसकी पत्नी को देखा तक नहीं गया और रेफर कर दिया। एम्बुलेंस को फोन करने पर उसे एम्बुलेंस भी उपलब्ध नहीं कराई गई। ऐसे में वो किराये वाहन कर तड़पती पत्नी को जिला अस्पताल लेकर पहुंचा जहां डॉक्टरों ने लापरवाही बरती तो अस्पताल के गेट पर ही डिलीवरी हो गई।
लापरवाही के बाद स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार सीएमएस एस. के. वर्मा ने कहा कि मामला मीडिया में आने पर पता चला है जांच कर दोषी स्वाथ्य कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी। सामुदायिक स्वास्थय केंद्र में ही नार्मल डिलीवरी हो सकती थी मगर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।