सरकारी वेबसाइट की तरह फर्जी वेबसाइट बना डाली
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पत्थर मंडी महोबा जनपद के कबरई में संचालित है। आज बड़े पैमाने पर पहाड़ों का खनन किया जाता है। यहीं वजह है कि खनन माफिया मंडी से मोटा मुनाफा कमाने के लिए नए नए हथकंडे तक अपना रहे हैं। पहाड़ों पर अवैध खनन के साथ साथ फर्जी रॉयल्टी के कारोबार में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। मगर यहां तो अब खनिज माफिया हाईटेक हो चले है। फर्जी रॉयल्टी के कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए माफ़ियायों ने खनिज की सरकारी वेबसाइट की तरह फर्जी वेबसाइट बना डाली यहीं नहीं इस वेबसाइट के माध्यम से नकली रॉयल्टी भी बनाकर बेंची गई। जबकि इसकी भनक खनिज विभाग को भी नहीं लग पाई।
खनिज विभाग की फर्जी वेबसाइट बंग्लौर से लांच
आपको बता दें कि महोबा जिले की कबरई मंडी में 300 से अधिक पहाड़ों के खनन पट्टे है। जो अपनी समयावधि पूरी कर समाप्त हो गए। नए पट्टे न होने के कारण 100 से भी कम पट्टे मंडी में बचे है। मंडी में प्रतिदिन चार से पांच हजार ट्रक गिट्टी लेने आते है जो बिना रॉयल्टी के माल की निकासी नहीं कर पाते। पट्टे कम होने तथा मांग बढ़ने के कारण रायल्टी की कबरई मंडी में मारामारी हो गई। एक ट्रक माल निकासी पर चार हजार रुपए की रॉयल्टी खनिज विभाग को देनी होती है। रॉयल्टी कमी के कारण मप्र की सस्ती रॉयल्टी कबरई मंडी में चलने लगी। तो वहीं आईटी विशेषज्ञ युवाओं ने फर्जी ऑनलाइन रॉयल्टी का नया तरीका ईजाद कर लिया और राज्य सरकार के खनिज विभाग की फर्जी वेबसाइट बंग्लौर से लांच कराकर रॉयल्टी का अवैध कारोबार करने लगे।
मामले को लेकर क्राइम ब्रांच को जांच सौपी
खनिज विभाग की सरकारी वेबसाइट upmines.upsdc.gov.in की ही तरह दिखने वाली upblogspot.com नामक साइट बना दी गई और इसका इस्तेमाल फर्जी रॉयल्टी में करने लगे। सरकारी फर्जी वेबसाइट की सूचना मिलते ही डीएम ने सख्ती दिखाते हुए खनिज विभाग को कार्रवाई के आदेश दिए। मामले को लेकर डीएम ने बताया कि यूपी ब्लागस्पाट डॉट काम (upblogspot.com) के नाम से बनी साइट खोलते ही खनिज की हूबहू सरकारी साइट खुल जाती है। जिससे बार कोड के साथ फर्जी रॉयल्टी तैयार हो जाती है और विभाग के लोग समझ नहीं पाते। इस मामले को लेकर क्राइम ब्रांच को जांच सौपी गई है।
लेपटॉप, एक कंप्यूटर, प्रिंटर और मोबाइल बरामद
खनन माफ़ियायों के इस शातिर अपराध को लेकर एसपी एन. कोलांचि ने बताया कि बंग्लौर के आईटी विशेषज्ञों से बात की तो पता चला कि कानुपर के किसी सिरफिरे युवक ने सरकारी वेबसाइट बनाई है। जानकारी और फर्जी साइट को बंद करा दिया गया। अब जांच के दायरे में न केवल शातिर अपराधियों की तलाश की जा रही है बल्कि विभाग की कितनी फर्जी रॉयल्टी बनाई गई उसकी भी जांच हो रही है ताकि राजस्व के नुकसान का आंकलन किया जा सके। वहीं दूसरी तरफ महोबा में रॉयल्टी की कमी के चलते मध्य प्रदेश का एक गिरोह भी फर्जी रॉयल्टी का कारोबार करते पकड़ा गया हैं। जिसमे तीन नवयुवकों को गिरफ्तार किया गया है। जिनके पास से मध्य प्रदेश की रॉयल्टी बरामद की गई है। साथ ही रॉयल्टी जरनेट करने के लिए एक लेपटॉप, एक कंप्यूटर, प्रिंटर और मोबाइल बरामद हुए है।
शातिर बदमाश कब तक सलाखों में पहुंचेंगे
पकड़े दो आरोपी बीएससी के छात्र है। उनकी माने तो वो बेकसूर है वो मध्य प्रदेश के एक पहाड़ की रॉयल्टी यहां देते थे। जबकि इस मामले में आला अधिकारी फर्जी रॉयल्टी होने की बात कहीं जा रही है। बहरहाल भले ही फर्जी रॉयल्टी और नकली वेबसाइट का मामला उजागर हो गया हो मगर अभी भी पुलिस के हाथ असली अपराधियों तक नहीं पहुंचे है जिन्होंने सरकारी साइट की कॉपी बनाकर बड़ी मात्रा में लोगों को ठगने का काम किया है। अब देखना होगा ये आईटी जानकर शातिर बदमाश कब तक सलाखों में पहुंचते है।