महोबा

बार-बार फोन पर भी नहीं पहुंची 108 एंबुलेंस सेवा, मरीज को ठेला पर लाद कर पहुंचाया अस्पताल

सीएमएस बोले-108 एम्बुलेंस सेवा हमारे पास नहीं है, इसका संचालन लखनऊ से होता है।
 

महोबाNov 03, 2018 / 09:21 pm

Ashish Pandey

बार-बार फोन पर भी नहीं पहुंची 108 एंबुलेंस सेवा, मरीज को ठेला पर लाद कर पहुंचाया अस्पताल

महोबा. जिले में स्वास्थ सेवाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। मरीजों को मिलने वाली सरकारी एम्बुलेंस सेवा मजाक बनकर रह गयी है। हालात यह है कि ग्रामीण इलाके हों या शहरी इलाके में एम्बुलेंस सेवा पूरी तरफ धड़ाम है। कई बार फोन करने पर भी कंट्रोल रूम से फोन नहीं उठा तो मरीज के परिजन जानवर ढोने वाले रिक्शा से बीमार वृद्ध को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाए। वहीं जिला अस्पताल पहुँचने पर मरीज को स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हुआ।
सूबे की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर रखने के निर्देश जिम्मेदारों को दिए हैं। मगर महोबा में इसका असर नजर नहीं आ रहा। एक के बाद एक सामने आते मामले जिले में लचर हो चुकी स्वास्थय सेवाओं की तरफ इशारा कर रही है। बीते दिनों एक बुजुर्ग को एम्बुलेंस नहीं मिली तो उसे चारपाई पर रखकर लोडर में लाया गया। वहीं एक बार फिर एक वृद्ध को इलाज के लिए मृत जानवर ढ़ोने वाले रिक्शे से जिला अस्पताल लाया गया। मामला महोबा शहर कोतवाली के बाईपास का है। जहाँ के रहने वाले वृद्ध दिल्लीपर के पैर में फ्रैक्चर की शिकायत होने पर वृद्ध के परिजनों ने 108 एम्बुलेंस सेवा को दो-तीन बार फोन किया। मगर कंट्रोल रूम से फोन नहीं उठा। ऐसे में मजबूरी बस मरीज के परिजनों को मृत पशुओं को ढोने वाले रिक्शा से अस्पताल पहुंचना पड़ा।
वहीं बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का वादा करने वाले महोबा जिला अस्पताल में मरीज को स्ट्रेचर तक नसीब नही हुआ वृद्ध के परिजन उसको गोद मे उठाकर डॉक्टर के पास पहुँचे। वहीं परिजनों का कहना है कि सरकार के दावे विफल हैं। एम्बुलेंस का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा कई बार फोन करने पर भी एम्बुलेंस नहीं आई।
वहीं सीएमएस उदयवीर सिंह से मरीज को एम्बुलेंस का न मिलने का कारण पूछा गया तो उन्होंने इससे पल्ला झाड़ते हुये कहा कि 108 एम्बुलेंस सेवा हमारे पास नहीं है, इसका संचालन लखनऊ से होता है। वही जब स्ट्रेचर न मिलने की बात पर उन्होंने अस्पताल के बाहर दो वार्डबॉय तैनात होने की बात कही। उन्होंने कहा कि जो भी मरीज के परिजन स्ट्रेचर मांगते हैं उनको वार्डबॉय के द्वारा स्ट्रेचर उपलब्ध कराया जाता है। मगर इन साहब को कौन बताये कि तश्वीरें कभी झूठ नहीं बोलतीं और जिला अस्पताल में जरूरतमंदों को कभी न तो स्ट्रेचर मिलता है और न ही स्वास्थय सेवाएं मिलती है !
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