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गरीबों को इस जिले में 10 रुपए में मिल रहा भरपेट भोजन, यहां इंसानियत की मिशाल बना सर्वधर्म भोजन

locationमहोबाPublished: Jun 02, 2018 10:28:05 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

जनपद के रोटी बैंक के बाद समाज के एक तबके ने यहां की बदहाली और गरीबी से जूझ रहे लोंगो को भोजन देने की एक नई मुहिम शुरू की है।

Roti bank news in hindi

गरीबों को इस जिले में 10 रुपए में मिल रहा भरपेट भोजन, यहां इंसानियत की मिशाल बना सर्वधर्म भोजन

महोबा. जनपद के रोटी बैंक के बाद समाज के एक तबके ने यहां की बदहाली और गरीबी से जूझ रहे लोंगो को भोजन देने की एक नई मुहिम शुरू की है। सर्वधर्म भोजन के बैनर तले 10 रुपये में बेसहारो, यतीमों और राहगारों को भोजन कराया जा रहा है। मकसद साफ है जहां एक ओर बुंदेलखंड में सरकारी योजना नाकाफी साबित हो रही है। तो वही समाज का एक तबका इससे खासा आहत है। नतीजन भूखों को भरपेट भोजन कराने का अभियान चर्चा का विषय बना है।

बुंदेलखंड का महोबा क्षेत्र पिछले 10 वर्षों से बदहाली की मार झेल रहा है। प्रदेश का सबसे पिछड़े जनपद महोबा यहाँ की लाचारी भुखमरी के लिए अपनी पहचान रखता है। राजनीतिक गलियारों में भी महोबा मुद्दा बनकर उभरा मगर यहाँ के हालातों में एक दशक से कोई परिवर्तन नहीं हो पाया। ऐसे में समाज का एक तबका बेहद चिन्तित हैं। भूखों को भरपेट भोजन देने के लिए महोबा की रोटी बैंक जैसी देश विदेशों में चर्चा में रही। तो अब सर्वधर्म भोजन नामक संस्था ने 10 रुपये में भरपेट भोजन शुरू कर इंसानियत की मिसाल पेश की है। दरअसल सूखा और दैवीय आपदाओं के बाद से महोबा भुखमरी और बेरोजगारी के दोराहे पर खड़ा है। तो वही यहाँ के निवासी अपने जमीर के चलते किसी के सामने हाथ फैलाना गवारा नही समझते। इसी मंशा के तहत संस्था ने एक छोटी सी राशि 10 रुपये में गरीबो को भोजन देने की योजना शुरू कर दी है। महोबा के रोडवेज परिसर में संचालित सर्वधर्म भोजन में शहर के समाजसेवी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। कोई आर्थिक तो कोई शारीरिक सहयोग कर रहा है। 10 रुपये में घी लगी चार रोटी, दाल, सब्जी और अचार दिया जा रहा है।

संस्था में काम कर रहे मनमोहन बताते है कि हमे शहर के लोंगो का भरपूर सहयोग मिल रहा है। वो उसकी पत्नी और उनके बच्चे इस काम मे भरपूर सहयोग दे रहे है। वो सुबह 11 बजे से 2 बजे तक राहगीरो और भूखों को भोजन कराते हैं। इनकी माने तो 10 रुपये लेकर यह अहसास कराया जाता है कि यह भोजन आपकी मेहनत के पैसों का है ताकि किसी को आत्मगिलानी महसूस न हो । 10 दिन पूर्व शुरु हुए सर्वधर्म भोजन में पहले 50 लोग भोजन करते थे। जिनकी संख्या आज 200 का आकंड़ा पार कर चुकी है। इंसानियत के इस कार्य की जगह-जगह सराहना हो रही है ।

दिहाड़ी मजदूरों को इस योजना से बड़ी राहत मिली है। जहाँ दोपहर के खाने के लिए उन्हें ढाबों और होटलों में 50 से 100 रुपये खर्च करना पड़ता था। वहीं आज 10 रुपये के इस भोजन से न केवल उनका पेट भर रहा है बल्कि बचे हुए पैसों से उनके परिवार की परवरिश हो रही है। वही राहगीर इस बात से प्रसन्न है कि उन्हें 10 में ताजा और शुद्ध भोजन मिल रहा है। बहरहाल भले ही समाजसेवी महोबा के हालातों से लड़ने का जज्बा पैदा कर रहे हैं मगर वो सरकार की उपेक्षाओं से खासे नाराज है।

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