महाराजगंज

इस मां से दुखी भला कौन होगा जिसके पति और बेटे को अपनी ही औलाद ने संपत्ति के लिए मार डाला

मां का इलाज गोरखपुर मेडिकल कालेज मे चल रहा है जहां वह अपने पति और एक बेटे को खोने के गम से बेसुध है

महाराजगंजSep 16, 2018 / 09:19 pm

Ashish Shukla

इस मां से दुखी भला कौन होगा जिसके पति और बेटे को अपनी ही औलाद ने संपत्ति के लिए मार डाला

महराजगंज. सोचिए! उस वक्त एक मां पर क्या गुजरी होगी जब उसे अपने ही बेटे और बहू के खिलाफ हत्या के जुर्म का एफआईआर दर्ज कराना पड़ा होगा? लेकिन क्या करे। 55 वर्षीय गेना देवी को ऐसा करने के मजबूर होना पड़ा क्योंकि उसके तीन बेटों मे से दो हैवानियत के इस हद तक पहुंच गए कि अपनी वीवीयों के भड़काने पर वे अपने बाप और एक भाई को मौत के घाट उतार दिए थे। हैवान बन चुके दोनों बेटों के निशाने पर उनकी मां गेना भी थी। हैवान बेटों ने उसके भी गर्दन पर वार किया था लेकिन वह गंभीर रूप से घायल होकर बच गई। उसका इलाज गोरखपुर मेडिकल कालेज मे चल रहा है जहां वह अपने पति और एक बेटे को खोने के गम से बेसुध है।
दोहरे दर्द के बीच गेना देवी इस बात को लेकर परेशान हो उठती हैं कि उन्होंने दो ऐसी औलादों का पालन पोषण क्यों किया जो उसके लिए काल साबित हुए। मेडिकल कालजे में भर्ती गेना देवी ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि उनके पति और मझले बेटे को उनके बड़े और छोटे बेटो ने अपनी वीवियों संग मिलकर मारा है। आए दिन घर मे झगड़ा होता था इस वजह से वह और उनके पति बड़े और छोटे बेटे को छोड़कर मझले बेटे के साथ रहते थे। कहा कि कुशीनगर जिले मे एक जमीन को उनके पति ने बेचा था।वे उस पैसों मे से सभी बेटों को बांट देना चाहते थे।
आजकल मे मामला लटका हुआ था।इस अलग रह रहे दोनों बेटों की वीवीयां आफत मचाए हुए थीं।उन्ही के उकसाने पर दोनों बेटों ने हैवानियत की हद पार कर दी।कहा पति और एक बेटे को असमय ही हमसे दूर कर दिया। गेना देवी का इलाज कर रहे मेडिकल कालेज के डाक्टरों का कहना है कि गले मे गहरी चोट और बेटे तथा पति के मृत्यु के गम मे डूबी गेना देवी की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। हालांकि मेडिकल कालेज में उन्हें बेहतर इलाज उपलब्ध कराई जा रही है ।

गरीबी मे पले बढ़े थे हरि

जिस संपत्ति के लिए बेटे ने पिता की हत्या कर दी वह पैतृक नहीं था बल्कि उसे हरि गौड़ ने अपनी कमाई से अर्जित किया था। हरि के पास पैतृक संपत्ति बहुत ही कम थी। हरि के पिता ने किसी तरह मेहनत मजदूरी कर हरी को पाला था। बड़ा होकर हरि कोइलरी कमाने चले गए। किस्मत ने साथ दिया और अस्थाई कर्मचारी हो गए हैं । शादी के बाद वे भाईयों से अलग रहने लगे।उन्होंने धनहा नायक के रामु टोले पर पुस्तैनी जमीन पर घर बनवाया । उसके बाद तीनों बेटे और बेटियों की पढ़ाई लिखाई में उलझ गए। तीन बेटे और तीन बेटियों की शादी कर खुशी का जीवन जी रहै थे । इसी बीच उन्होंने खेत व तीन चार स्थानों पर जमीन खरीद ली। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने धनहा में मुर्गी फार्म खोल लिया। बेटों में मनमुटाव को देखते हुए उन्होंने तीन साल पहले तीनो बेटों को अलग कर दिया और मझले बेटे श्री राम के साथ परतावल में रहने लगे थे।

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