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योगी सरकार के इस घोषणा से खाद विक्रेता और दुकानदारों में आए दिन हो रही झड़प

locationमहाराजगंजPublished: Dec 01, 2018 02:13:15 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

योगी सरकार के प्रति किसानों में गुस्सा, किसानों के लिए शुरू की गई सरकार लाभ से किसान वंचित

Cm yogi adityanath

Cm yogi adityanath

यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. किसानों के लिए लगने वाले चैपाल में किसानों की बात नहीं होती। यही वजह है कि सरकार द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई कई लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। चैपाल में तामझाम के साथ जुटने वाले अफसर तथा नेता अपनी अपनी बात करते हैं। कई सारी योजनाएं ऐसी है जिससे किसान फायदा पा सकता हैं बसर्ते उसे जानकारी हो और अफसर इसके प्रति ईमानदार हों। अफसोस कि दोनों ही किसानों के प्रति सिर्फ भाषणबाजी करते हैं। नेता अपनी बात करता है और अफसर अपनी बात! इस सबके बीच में किसान को खूबसूरत शब्दों का सम्मान किसान अन्नदाता के नाम प्राप्त कर रह जाता हैै।

दरअसल शुक्रवार को पत्रिका संवाददाता ने खाद की दुकान पर भीड़ देखा जहां किसान और खाद बिक्रेता के बीच बहस हो रही थी। किसान दूकानदार पर भड़के जा रहा था। दुकानदार की बात किसान बिलकुल सुनने को तैयार नहीं था। मजे की बात है कि वहां मौजूद पढ़े लिखे किसान भी दुकानदार को ही लपेटे में ले रहे थे और उस पर सरकार के आदेश के बावजूद मंहगे दाम पर खाद बेचने का आरोप मढ़ रहे थे। इस सारे एपीसोड के पीछे वास्तव में यूपी सरकार की राजनीतिक चाल है। दो माह पहले यूपी की येागी सरकार ने यूरिया के दाम में करीब 30 रूपये प्रति बोरी कम करने का आदेश दिया है। कायदे से किसानों को इसका लाभ फौरन मिलना चाहिए। अब इसे योगी सरकार की राजनीतिक चाल कह सकते हैं कि किसानों को यह लाभ जनवरी से दिया जाना है। लेकिन किसानों को सरकार के अंदर खाने की इस बात को नहीं बताया गया। खेती बारी का सीजन अक्टूबर नवंबर होता है। जनवरी में चुनिंदा फसल ही किसान बोते हैं वह भी किसी किसी प्रदेश में ऐसे में खाद में कमी का लाभ जनवरी में देने की सरकार के आदेश के पीछे क्या है? यह तो वही जाने। लेकिन सारकार के वादे के अनुसार किसान को छूट का यह लाभ तो घोषणा के बाद ही मिलना चाहिए। खेती बारी के इस सीजन में खाद की दुकानों पर दुकानदार और किसानों के बीच इस बात को लेकर बकझक आम बात है।

महराजगंज जिले के खाद के एक थोक बिके्रेता के अनुसार सरकार ने खाद की कमी की घोषणा कर किसानों पर एहसान नहीं किया है। खाद पर एक टैक्स लगता है एसीटीएन! यह टैक्स देश के सिर्फ दो प्रदेशों में है। यूपी और गुजरात। यूपी की योगी सरकार ने दो माह पहले इसी टैक्स को समाप्त करने की घोषणा की है जिसे जनवरी से लागू होना है। सरकार ने दो माह पहले घोषणा तो कर दी लेकिन यह कब लागू होगा इसे नहीं बताया। किसानों में दाम को लकर यह गलत फहमी स्वाभाविक है। सारकार के इस राजनीतिक चाल से खाद विक्रेताओं को आए दिन जलील होना पड़ रहा है। खाद के उस थोक बिक्रेता का कहना है निसंदेह सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की है लेकिन इसके प्रसार प्रचार न होने से किसान इसके लाभ से वंचित हो रहा है। कहा कि इसमें किसानो के लिए सोलर पंप बहुलाभकारी योजना है लेकिन इसका प्रचार न होने के कारण इसका लाभ चुनिंदा किसानों तक ही सीमित होकर रह गया है। इसी तरह फसल बीमा हो किसान दुर्घटना बीमा इसका भी प्रचार ब्लाक तथा तहसील मुख्यालयों पर लगे बड़े बड़े होडिंग्स तक सिमटा हुआ है। होना यह चाहिए कि संबंधित विभाग के अफसर अथवा जनप्रनिधियों के लगने वाले चैपाल में इसे विस्तार से बाताया जाना चाहिए और जैसे इस वक्त गांव गांव में शौचालय तथा पीएम आवास का टारगेट दिया गया है ठीक उसी तरह किसानों को दी जाने वाली लाभ का टारगेट गांव स्तर पर तय किए जांए। कहा कि लाख चेतावनी के बाद यदि सरकारी धान खरीद केंद्रों पर धान की खरीद नहीं हुई तो इसके कारणों को तलाशना सरकार की जिम्मेदारी है।

किसानों को अन्य तरह से भी मंहगाई की मार से दो चार होना पड़ रहा है। नियम है कि खाद सप्लाई करने वाली कंपनियां सीधे फुटकर खाद विक्रेताओं तक अपने वाहनों से खाद पंहुचाएं। इसके लिए दुकान दार को प्रति बैग 20 रूपये की सब्सीडी दी जाती है। सप्लाई कंपनियां अमुमन ऐसा नहीं करती इसलिए अनलोडिंग चार्ज दुकानदारों को देना पड़ता है। अब दूकानदार किसानों से इसे जोड़कर पैसा लेता है तो यह एमआरपी से भी ज्यादे हो जाता है। ऐसी कई तमामा सरकारी याजनाएं है जो या तो गलतफहमी के कारण फ्लाप है या उसका कोई प्रचार प्रसार नहीं है। कहना न होगा इससे सरकार के प्रति किसानों में रोष पनपना स्वाभाविक है।
BY-Yashoda Srivastava

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