महाराजगंज

महराजगंज संसदीय सीट पर रिपोर्टकार्ड नहीं जातिय अंकगणित होगा टिकट हासिल करने का पैमाना

इसी अंकगणित से पांच बार से सांसद चुने जा रहे हैं भाजपा सांसद पंकज चौधरी
 

महाराजगंजJun 16, 2018 / 02:56 pm

ज्योति मिनी

महराजगंज संसदीय सीट पर रिपोर्टकार्ड नहीं जातिय अंकगणित होगा टिकट हासिल करने का पैमाना

यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. भाजपा अपने मौजूदा सांसदों को टिकट देने के लिए उनका रिपोर्ट कार्ड तैयार करवा रही है। जिन सांसदों का रिपोर्ट कार्ड पार्टी के मानक के अनुकूल नहीं ठहरा उनका टिकट या तो कट सकता है या उनका क्षेत्र बदला जा सकता है। लेकिन भाजपा के ऐसे कई सांसद हैं जो रिपोर्ट कार्ड पर नहीं जातिय अंकगणित के बदौलत एक बार नहीं कई बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, ऐसे सांसदों का रिपोर्ट कार्ड भले ही बेहतर न हो लेकिन उनका टिकट काट पाना पार्टी के लिए चुनौती है।

महराजगंज से पंकज चौधरी भाजपा के टिकट से पांच बार एमपी चुने गए। पंकज चौधरी अपनी जीत को लोकप्रियता और काम की दृष्टि से देखते हैं। वहीं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आलोक प्रसाद कहते हैं कि, वे अपने पांच बार के संसदीय कार्यकाल में जनहित के पांच काम भी नहीं कर सके। बहरहाल पंकज चौधरी ने अपनी राजनीति की शुरूआत गोरखपुर नगरनिगम के पार्षद फिर डिप्टी मेयर से की। 1991 में उन्हें पहली बार महराजगंज से भाजपा का टिकट मिला। विपरीत परिस्थति में चौधरी ने यह चुनाव जीता था। बीच चुनाव में ही राजीव गांधी की हत्या हो गई थी।
चुनाव कांग्रेस के पक्ष में था बावजूद पंकज चौधरी पहली बार ही चुनाव जीतने में सफल हुए। शिब्बन लाल सक्सेना, हर्षवर्धन, महादेव वर्मा, अशफाक हुसेन जैसे जातियों को धता बताकर सांसद चुने गए राजनीति के इन पुरोधाओं की कर्मभूमि पर पहली बार जातियता के आधार पर पंकज चौधरी की जीत की चर्चा हुई। पंकज चौधरी ने 1996 में दूसरी बार जीत का परचम लहराकर अपनी जातीय राजनीति की नींव को और पुख्ता किया। उसके बाद वे दो बार हारे और पांच बार जीते। उनकी जीत के पीछे जातिय अंकगणित ही माना जा रहा है।

करीब 16 लाख वोटर वाले महराजगंज संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की संख्या करीब तीन लाख है। पिछड़ी जाति के ये वोटर पूर्व में छिटके हुए थे। 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पल चुनावी जंग में उतरे कुर्मी जाति के पंकज चौधरी कुर्मी वोटरों को अपने पक्ष में गोलबंद करने में कामयाब हुए। करीब दो लाख वैश्य वोटर जो स्वाभाविक तौर संघी विचार धारा के होते हैं वे और पांच लाख सर्वण वोटरों में भाजपा सर्मथक आधे से अधिक वोटरों का योगदान पंकज चौधरी की जीत की वजह बनता आ रहा है। अब इन वोटरों को अपने जनप्रतिनिधि से कामवाम से क्या लेना देना। कुर्मी जातिय आधार पर पंकज चौधरी से जुड़ गया जबकि वैश्य और सर्वणों का बड़ा हिस्सा परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर है। वोटों की यही अंकगणित पंकज चौधरी की जीत में सहायक होती आई है। कहना न होगा कि, यही उनका रिपोर्ट कार्ड है और इसी के बदौलत हर बार टिकट की उनकी दावेदारी मजबूत रहती है।इस बार भी रहेगी।

हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष अरुण शुक्ला पंकज चौधरी की जीत के पीछे जातियता के आधार को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि, यह नामुमकिन है कि, कोई सांसद केवल जातियता के आधार पर लगातार चुना जाता हो। सांसद चौधरी के पक्ष में उनका तर्क है कि, वे जनता के बीच आसानी से उपलब्ध होने वाले महराजगंज के पहले सांसद हैं। कहते हैं कि, किसी सांसद की पहली प्राथमिकता केंद्र सरकार की योजनाओं को अपने क्षेत्र में लागू करवाना होता है। महराजगंज में केंद्र सरकार की सभी योजनाएं अपना काम कर रही है। सांसद स्वयं गांव गांव चौपाल लगाकर सभी योजनाओं की निगरानी कर रहे हैं और लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वे कहते हैं कि, जातियता नहीं जनता में स्वीकार्यता उनकी जीत का पैमाना है।

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