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अटल की अस्थियां और मोदी का क्रेज 2019 में करेगा बेड़ा पार ?

locationमहाराजगंजPublished: Aug 30, 2018 05:31:19 pm

आखिर स्थानीय मुद्दों को जनता कब तक नकारती रहेगी

Narendra Modi and Amit Shah

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह

यशोदा श्रीवास्तव

महराजगंज. आगामी लोकसभा चुनाव में दो सावल पर चर्चा शुरू हो गई है। क्या-क्या भाजपा के लिए मोदी का जादू व अटल की अस्थियां 2019 में सत्ता वापसी के लिए काफी है और नंबर दो फिर विपक्ष किस मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगा ? अभी जो मुद्दा उसके पास है क्या वह भाजपा को शिकस्त देने की स्थित में है ? फिलहाल जनता के बीच दोनों ही चर्चाएं गंभीर है और वह इसे लेकर 2019 के लिए मंथन कर रहा है।
2014 में वोटरों ने कांग्रेस के बदले भाजपा को बहुत उम्मीद के साथ चुना था। उसके सामने भ्रष्टाचार, घोटाला मंहगाई आदि बड़ा सवाल था कश्मीर, राममंदिर, समान नागरिक संहिता और बिना युद्ध के बार्डर पर सैनिकों के बलिदान को भी चुनावी मुद्दा बनाया गया। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी का ओजस्वी भाषण- हर साल दो करोड़ युवकों को रोजगार, हम देश नहीं झुकने देंगे, वे एक मारेगा तो हम दस मारेंगे-वोटरों खासकर युवा वर्ग को जोश से लबरेज कर दिया था। प्रधानमंत्री सहित सत्ता पक्ष बड़े नेताओं के भाषणों में अभी भी वहीं सारी बाते हैं और इसे पूरा कर लेने का दावा भी है। लेकिन धरातल पर तो परिवर्तन की अनुभूति से लोग वंचित ही हैं।
सच यह है कि अब सत्ता पक्ष के नेताओं का खुशहाली का राग कान फोड़ू लगता हैं। राष्टीय स्तर पर तो विपक्ष के पास जनता के बीच जाने के ढेर सारे मुद्दे हैं। इसमें नोटबंदी से हुई तबाही अभी भी लोग भूल नहीं पाए हैं। इस सबके बाद स्थानीय मुद्दै हैं जो चुनाव दर चुनाव वैसे ही हैं जैसे आज के 20-25 साल पहले थे। कहना न होगा कि गोरखपुर सहित यूपी के तीन लोकसभा का उपचुनाव हारने पर सीएम योगी ने कहा था कि स्थानीय मुद्दे की वजह से हम हारे। सीएम योगी गोरखपुर से तब से सांसद रहे हैं जब वे मात्र 28 साल के थे। इस बीच यूपी और दिल्ली में उनके पार्टी की सरकार भी थी। इतने लंबे समय तक सांसद रहने के बाद भी यदि गोरखपुर में स्थानीय समस्या है तो माना जाना चाहिए कि स्थानिय समस्याओं के प्रति हमारे जनप्रतिनिधि वाकई उदासीन हैं।
बात नेपाल सीमा से सटे संसदीय क्षेत्र महराजगंज की करें तो यहां के भाजपा सांसद पंकज चैधरी पांच बार से सांसद चुने जा रहे हैं। 1991 के बाद केवल दो बार वे हारे हैं। एक बार सपा से और दूसरी बाद कांगे्रस से। मजे की बात है कि भाजपा सांसद अपने पहले चुनाव से लेकर हर चुनाव में क्षेत्र के कई समस्याओं के समाधान की बात करते आ रहे हैं लेकिन समस्यायें जस की तस है। सबसे बड़ी समस्या आनंदनगर की बंद हो चुकी चीनी मिल है।
यह मिल पूर्व में जैपुरिया का था जो बाद में केंद्रीय सरकार के अधीन एनटीसी का हो गया। एनटीसी ने इसे चलाने में रूचि नहीं ली लिहाजा मिल बंद हो गया और सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए। सांसद चैधरी ने इस मिल की जगह एनटीसी के कपड़ा मिल के स्थापना का वादा किया था जो नहीं पूरा हुआ और अब तो चीनी मिल के पुर्जे पुर्जे स्क्रेप के रूप में बिक गया। भारत में कई संसदीय और जिला मुख्यालय हैं जो अभी भी रेल से कनेक्ट नहीं है। इसमें महराजगंज भी है। भाजपा सांसद चैधरी लगातार इसे पूरा करने का वादा करते हैं लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो सका।
कभी सर्वे की बात आकर लटक जाती है तो संसद में मुद्दा उठाने से ही लोगों में आस जगाई जाती है। सड़कें, स्वास्थ, शिक्षा, बिजली पानी का हाल 20-25 साल पहले जैसा ही है। कांग्रेस नेता अरविंद मिश्र एडवोकेट कहते हैं कि जब सासद के गोद लिए गांव का कायाकल्प नहीं हो सका तो पूरे क्षेत्र के काया कल्प की बात बेमानी है। वे कहते हैं कि 2014 का चुनाव भाजपा मोदी के दम पर जीती थी और 2019 का चुनाव मोदी के दम पर ही हारेगी। एससी एसटी एक्ट ही भाजपा को ले डूबने के लिए काफी है।
सच है कि पीएम मोदी का जो क्रेज 2014 के चुनाव में था वह 2019 तक नहीं रहेगा। घटाव तेजी से हो रहा है। इधर भारत रत्न पूर्व पीएम अटल विहारी वाजपेयी के निधन के बाद जिस तरह उनकी अस्थियों को जिले जिले तक ले जाया गया और श्रद्धांजलि सभाओं के जरिए उन्हें याद किया गया इसके पीछे 2019 का लोकसभा चुनाव भी है। लेकिन आम धारणा है कि भाजपा के इस स्वांग का चुनावी लाभ मिलना मुमकिन नहीं जान पड़ता।
ऐसे में भाजपा 2019 को लेकर कुछ न कुछ नया प्लान जरूर बना रही है। भाजपा जिलाध्यक्ष अरूण शुक्ल कहते हैं कि भाजपा के चार साल के शासन में समाज के हर वर्ग में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत हुई है। विदेशों में भारत का मान बढ़ा है। हमारी सीमाएं सुरक्षित हुई हैं। दुश्मन देश अब रायफल तानने के बजाय दोस्ती का हाथ बढ़ाने को आतुर हैं।
सवाल करते हैं कि आखिर अच्छे दिन कहते किसे हैं? उन्होंने कहा विपक्ष के पास प्रापोगंडा के सिवा कुछ नहीं है जिसे जनता सुनने को तैयार नहीं है। अब यह देखना है कि महराजगंज संसंदीय क्षेत्र का वोटर राष्ट्रभक्ति और विदेश में बढ़े भारत के मान के नाम पर वोट देता है या बेतहाशा महगाई,थाना कचहरियों में भ्रष्टाचार, डीजल पेटोल में मंहगाई की आग के नाम पर ईवीएम का बटन दबाता है।

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