बता दें कि बतौर सांसद और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस जिले से गहरा नाता रहा है। वे अपने अब तक के राजनीतिक सफर में कईयों बार विभिन्न कार्यक्रमों में सिद्धार्थनगर आते रहे हैं। बतौर मुख्यमंत्री भी जिले में उनका आज का दौरा पांचवी बार था। पर वो कभी कपिलवस्तु नहीं गए। पिछले साल कपिलवस्तु महोत्सव के अवसर पर उनके वहां जाने की संभावना बनी थी, पर कुछ ऐसा संयोग बना कि वे जिला मुख्यालय तक आ कर रह गए। आज यानी 16 अक्टूबर को कपिलवस्तु स्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में दूसरा दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाइक के साथ सीएम योगी का भी आना तय था, जो आखिरी वक्त में कट गया।
कपिलवस्तु आए पूर्व के मुख्यमंत्री एनडी तिवारी, राम प्रकाश गुप्त, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और मायावती के बारे में बताया जाता है कि किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने कपिलवस्तु आए और जाते ही किसी की कुछ दिनों में तो किसी की कुछ महीनों में कुर्सी चली गई। यह एक संयोग भी हो सकता है, लेकिन यहां आए मुख्यमंत्रियों के साथ ऐसा हुआ है इसलिए इसे महज संयोग भी मानना ठीक नहीं। सीएम योगी स्वयं भी ऐसी घटनओं को अभिशाप नहीं मानते। जरूरी नहीं कि सीएम योगी के साथ भी ऐसा ही कुछ होता लेकिन उनके समर्थकों में उनके कपिलवस्तु आगमन को लेकर चिंता के भाव साफ झलक रहे थे। कपिलवस्तु में सीएम को लेकर भाजपाइयों में कोई उत्साह भी नहीं था। सच देखा जाए तो सीएम के न आने से उनमें परसन्नता के भाव दिखा।