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सालों बाद यूपी के इस जिले में पड़ा ऐसा सूखा, बरसात के लिए मस्जिदों में तो दुआख्वानी मंदिरों में पूजा कर रहे लोग

locationमहाराजगंजPublished: Jun 23, 2018 02:47:07 pm

महिलाएं भी बारिश के लिए कर रही ये काम…

महराजगंज. भले ही सूबे के कई हिस्सों में बाढ़ के हालात हों लेकिन यहां तो सूखे के हालात हैं। सूखे से पार पाने के लिए गांव-गांव पूजा पाठ के अलावा टोटका का भी दौर शुरू हो गया हैं। हालांकि इतने सब जतन के बावजूद मेघ अभी पसीजेे नही हैं।

बता दें कि, धान के रोपाई का सीजन पीक पर है, लेकिन बरसात के मौसम के करीब एक पखवारा गुजर जाने के बाद भी धरती सूखी की सूखी है। रोपाई के लिए धान की नर्सरी लगभग तैयार है। किसान अपनी नर्सरी को बचाने के लिए करीब करीब रोज ही पंपसेट से सिंचाई करने को विवश हैं। डीजल की मंहगाई एक अलग संकट है। ऊपर से बरसात न होने की चिंता अलग सता रही है। किसान इस बात को लेकर अधिक चिंतित है कि यदि एक सप्ताह और बरसात न हुई तो उन्हें रोपाई के लिए भी पंपसेट का ही सहारा लेना होगा। सोचिए यदि ऐसा हुआ तो किसान की कमर ही टूट जाएगी। जिन किसानों के पास सिचाई के अपना संसाधन नही है उनकी हालत तो और गड़बड़ हो सकती है। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले में करीब 55 प्रतिशत किसानों के पास सिंचाई के अपना संसाधन नही है। इसमें अधिकांश छोटे किसान हैं जिनके लिए दूसरों पर आधारित खेती बड़ी मुसीबत हो सकती है।

अवषर्ण से परेशान किसानों का कहना है कि, ऐसी स्थति कई साल बाद आई है कि वर्षा के लिए किसानों को बादल की ओर निहारना पड़ रहा है। हालात इतने भयावह है कि, बरसात के लिए किसानों को दशकों पूर्व पूजा पाठ और टोटका की राह पर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कई जगह मंदिरों में पूजा पाठ का दौर शूरू हो गया है। मस्जिदों में बरसात के लिए दुआख्वानी चल रहा है। वहीं गांवों में महिलाओं द्वारा तालाब और पोखरों पर गीत गंवनई के बीच कालकलइया खेला जा रहा है। इसी के साथ गांव जवार के नामचीन लोगों को मिट्टी से नहलाया भी जा रहा है। बरसात के लिए ये सब सदियों पुराने ऐसे टोटके हैं। जिसे बरसात होने के लिए आजमाया जाता रहा है।
कहना न होगा कि, ऐसे टोटकों से प्रसन्न होकर मेघ झमाझम बरसते भी थे। लेकिन इधर करीब एक सप्ताह से जिले के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के पूजा पाठ और टोटकों के बाद भी मेघ अभी नहीं प्रसन्न हुए। हालांकि एक दो दिन से रोज रात को काली घटा घिरकर किसानों को ललचा जरूर रही है लेकिन बरस नहीं रही।

बरसात को लेकर चिंतित किसानों के लिए मौसम विग्यानियों की “आज कल” में बरसात की भविष्यवाणी राहत जरूर पहुंचाती लेकिन यह एक दो दिन बीतते ही वे फिर निराश हो जा रहे हैं। फिलहाल बरसात को लेकर किसानों में अभी निराशा का ही आलम है।
input यशोदा श्रीवास्तव

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