उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार रोज हजारों किलोमीटर सड़क बनाने का दावा करती है। सरकार का दावा सच होता तो जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली निचलौल तहसील मुख्यालय की यह सड़क कब की बन गई होती और सड़क चलने के लिए हो जाती। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि इन सड़कों पर समतल कम और गड्ढे ज्यादा है । कहा कि जब निचलौल तहसील की स्थति ऐसी है तो फिर सुदूर ग्राम, कस्बों और देहातों के सड़कों की स्थिति क्या होगी इस महत्वपूर्ण सड़क की दुर्दशा देख इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। पूर्व सांसद ने सोमवार को महाराजगंज मुख्य मार्ग पर निचलौल स्थित चौधरी पेट्रोल पम्प के समीप टूटे सड़क पर धान की रोपाई कर कही कि सरकार के विकास के दावे झूठे है।
पूर्व सांसद अखिलेश सिंह इस इलाके में लगातार अपनी सरगर्मी बनाए हुए हैं। अभी इसके पहले उन्होने किसानों के मुद्दे को धार देकर खासा प्रभावी काम किया है। हुआ ये कि इस विधानसभा क्षेत्र के गड़ौरा में प्राइवेट चीनी मिल है। इस पर किसानों का करोड़ो बकाया है। कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने गन्ना किसानों के बकाए को लेकर बड़ा आंदोलन किया था। उन्होने जेल भरो आंदोलन की घोषणा कर प्रशासन की नींद * उड़ा दी थी। आंदोलन के दिन लगातार बारिश होने के बाद हजारों किसानों के आंदोलन में जुटने से पूर्व सांसद का हौसला बढ़ा था। जिसके बाद से ही भाजपा के नेता हैरान होने लगे हैं। ऐसा खुद क्षेत्र के लोगों का भी कहना है।
गठबंधन से टिकट मिलने की है संभावना संसदीय सीट से एक बार सांसद रह चुके हैं। सपा बसपा गठबन्धन में उन्हें टिकट मिलने की पूरी उम्मीद है। संभवत: सपा नेतृत्व द्वारा मिले सिग्नल के आधार पर उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ाई हो। लोकसभा चुनाव मे वे नौतनवा विधानसभा क्षेत्र में आगे रहते हैं।फरेंदा विधानसभा क्षेत्र मे भी उनकी स्थिति बेहतर रहती है।जबकी सिसवा महराजगंज तथा पनियरा में इन्हें कड़ी टक्कर मिलती है। इसमे सिसवा विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जहां थोड़ा मेहनत कर स्थिति अपने पक्ष में की जा सकती है।संसदीय क्षेत्र का जातीय अंकगणित यह है कि इन तीन विधानसभा क्षेत्रों मे बढ़त हासिल कर लेने के बाद शेष दो विधानसभा क्षेत्र महराजगंज व पनियरा मे पिछड़ने के बाद भी परिणाम अपने पक्ष मे आना तय माना जाता है। ऐसा लग रहा कि अखिलेश चुनावी हवा अपने पक्ष में करने के लिए इन जमीनी मुद्दों को भी हवा दे रहे हैं।