सूत्रों की मानें तो डेंगू से इन छह साल में करीब 10 लोगों की मौत हुई है। बीमारी की रोकथाम के लिए संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।सच यह है कि साफ सफाई या फिर जागरूकता की, इन सभी मुद्दो पर कुछ तैयारी नहीं है। छह साल में डेंगू के 44 केस सामने आए हैं जिसमें से वर्ष 2016 में एक की मौत होना विभाग के रिकार्ड में दर्ज है।
कहा तो यह जाता है कि विभाग के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है। आम तौर पर डेंगू जुलाई अगस्त से शुरू होता है। 2017 में 19 केस और वर्ष 2018 में अब तक एक केस सामने आया है। एसीएमओ डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि आशा, आंगनबाडी, पंचायत राज विभाग को गांव में जागरूकता, साफ सफाई पर ध्यान देने का निर्देश दिया गया है। वहीं जिले के सभी सीएचसी पीएचसी पर उपचार की व्यवस्था है। ज्यादा दिक्कत होने पर जिला अस्पताल में भी बेहतर इलाज का इंतजाम है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मियों की टीम को अर्लट कर दिया गया है। प्रयास रहेगा कि केस सामने आने पर त्वरित इलाज कर राहत पहुंचाया जा सके।
डेंगू के लक्षण डॉक्टर एएम भाष्कर बताते हैं कि ठंड के साथ अचानक तेज बुखार आना, मांसपेशियों तथा जोंडो में तेज दर्द होना, गले में सूजन होना, शरीर पर दाने निकला आदि प्रमुख लक्षण हैं। पूरी आस्तीन के कपडे पहने, आसपास पानी जमा न होने दें, चार दिन से अधिक बुखार होने पर खून की जांच करावें, कुलर का पानी तीन दिन के अंदर बदले दें और साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखकर बचाव किया जा सकता है।
By- यशोदा श्रीवास्तव