मामला जिले के एक लेखपाल का है। रामकरन गुप्ता नामक लेखपाल अपने संगठन के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी भी हैं। वे लंबे समय तक जिला मुख्यालय के तहसील पर कार्यरत रहे हैं। कुछ दिन पूर्व उनका स्थानांतरण बांसी तहसील में कर दिया गया। लेखपाल गुप्ता ने अपना स्थानांतरण रूकवाने के लिए सांसद और स्थानीय विधायक का सहारा लिया। सासद जगदंबिकापाल और विधायक श्यामधनी राही ने जिलाधिकारी को लेखपाल रामकरन गुप्ता का स्थानांतरण जिला मुख्यालय के तहसील नौगढ़ पर करने के लिए पत्र लिखा। इसके पीछे तर्क था कि लेखपाल की 80 वर्षीय वृद्ध मां की तबीयत खराब रहती है। उनकी देखभाल के लिए रामकरन गुप्ता का घर पर रहना जरूरी है।
हैरत है कि कद्दावर जनप्रतिनिधियों की सिफारिशी पत्र पर लेखपाल का स्थानांतरण नौगढ़ तहसील के लिए करने के बजाय उन्हें निलंबित कर दिया गया। लेखपाल का निलंबन यूं तो बांसी के एसडीएम प्रवुद्ध सिंह ने किया है लेकिन इसके पीछे डीएम कुणाल सिल्कू का शह माना जा रहा है। क्योंकि सांसद और विधायक ने लेखपाल के जुड़े मसले पर पत्र सीधे जिलाधिकरी को लिखा था। बांसी के एसडीएम ने कहा है कि लेखपाल रामकरन गुप्ता जनप्रतिनिधियों से अपने स्थानांतरण के लिए उच्चाधिकारियों पर वेजा दबाव बना रहे थे जो उप्र सरकारी सेवक आचरण नियमावली के विरूद्ध है। इस लिए उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई इस लिए भी की गई है ताकि सरकारी कर्मचारी जनप्रतिनिधियों से सिफारिश कराने से बाज आएं।
बहराहल लेखपाल रामकरन गुप्ता के निलंबन स लेखपाल संघ नाराज हो उठा। संघ के जिलाध्यक्ष अमित श्रीवास्तव ने कहा कि प्रशासन यदि जल्द से जल्द लेखपाल रामकरन गुप्ता का निलंबन वापस नहीं करता है तो उसके खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा। इधर अपने सिफारिशी पत्र पर एक लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई करने से सांसद तथा विधायक में भी रोष है।
आम धारणा है कि जब सत्ता पक्ष के कद्दावार सासद और विधायक के सिफारिशी पत्र पर जिला प्रशासन का यह निर्णय है तो विपक्ष के जनप्रतिनिधि के पत्र पर तो सरकारी कर्मचारी की खैर नहीं है। बता दे कि सांसद जगदंबिका पाल जहां भजपा में कद्दावर सांसद की हैसियत रखते हैं वहीं विधायक श्यामधनी राही न केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं, वे सीधे सीएम तक अपनी पंहुच रखने का दावा करते हैं।
By Yashoda Srivastava