पूार्वंचल का डुमरियागंज संसदीय सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट माना जाता है लेकिन यदि किसी मुस्लिम लीडर को यह मुगालता है कि वे केवल मुस्लिमों का वोट पाकर चुनाव जीत सकते हैं ये उनका मुगालता ही है। 1980 के बाद इस सीट पर सिर्फ दो बार मुस्लिम सांसद चुनाव जीते सके हैं। एक काजी जलील अब्बासी जो कांग्रेस के टिकट पर दो बार संासद चुने गए थे और दूसरे मो मुकीम जो 2004 में बसपा के टिकट पर चुने गए थे। कहना न होगा कि इन दोनों मुस्लिम नेताओं के पास गैर मुस्लिम वोटों का अपना जखीरा भी था। पीस पार्टी के मो अयूब के पास यह नहीं है। हां गठबंधन के उम्मीदवार होते हैं तो बात अलग है लेकिन यह अभी तय कहां है?
गठबंधन पर अधिकृत रूप से बयान देने से चाहे सपा हो या बसपा या फिर कांग्रेस, इनके नेता अभी बच रहे हैं। लेकिन महराजगंज के कांग्रेस नेता वीरेंद्र चैधरी जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी हैं, इन्होंने साफ कहा कि जिन पांच प्रदेशों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, उसके परिणाम आने के बाद गठबंधन पर बात आगे बढ़ेगी। मायावती तथा अखिलेश के कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी पर उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक बयानबाजी है और इसे विधानसभा चुनाव वाले प्रदेशों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
वीरेंद्र चैधरी ने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन तय है। और इसी के साथ यह भी तय है कि कांग्रेस ठीक ठाक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्हेंने कहा कि विधानसभा वाले प्रदेशों का चुनाव परिणाम आने के बाद गठबंधन में शामिल दलों का सुर बदलेगा। उनका इशारा संभवतः मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान मिजोरम तथा तेलांगाना में कांग्रेस के पक्ष में चुनाव परिणाम को लेकर था। बहरहाल चुनाव परिणाम चहे जो हो, यह सच है कि यूपी में गठबंधन पर मुकम्मल बात इन प्रदेशों के चुनाव परिणाम के बाद ही होगी।