पूर्वोत्तर रेलवे का आनंदनगर रेलवे स्टेशन लखनऊ मंडल का हिस्सा है, यहां ठेकेदार की तरफ से उतराये जा रहे माल की ढुलाई के लिए लगे दर्जनों ट्रकों की रफ्तार से उड़ रहे धूल लोगों के जीवन के लिए खतरा बना हुआ है, यहां माल के लोडिंग अनलोडिंग का अधिकृत ट्रैक प्वाइंट भी नहीं है।
बता दें कि नेपाल जाने के लिए लौह सामग्री आमतौर पर मालगाड़ी से ही आती है, इसके उतरने का अधिकृत रेलवे स्टेशन नौतनवां है जो नेपाल बॉर्डर से कुछ किमी की दूरी पर है। नेपाल के लिए यहां उतरने वाले माल को ट्रकों से नेपाल भेजा जाता है। ट्रकों पर ओवरलोडिंग के दबाव को मानने से इनकार करने पर ठेकेदार माल को आनंदनगर रेलवे स्टेशन पर उतरवाते है, यहां रेलवे लाइन के समीप धूल से भरे रेलवे के कच्ची जमीन पर माल उतरवाया जा रहा है और यहां से इसे ट्रकों से लोड करवाकर नौतनवां तक पहुंचाया जाता है।
ट्रकों के रेले से उड़ने वाला धूल ही लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है। इस स्थल के करीब ही बच्चों का स्कूल है, जहां हजारों बच्चे पढ़ते हैं. उड़ रहे धूल से बच्चे फेफड़ों के संक्रमण की गिरफ्त में आ रहे हैं। इस धूल से बुजुर्ग भी परेशान हैं। यह धूल उन लोगों के लिए बड़ी मुसीबत है जो सांस और दमा के मरीज हैं।
इस समस्या के बाबत स्थानीय रेल प्रशासन एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपकर पल्ला झाड़ ले रहा है। लखनऊ मंडल के डीआरएम के पीआरओ आलोक श्रीवास्तव से बात हुई तो उन्होंने बस इतना कहा कि इस संबंध में जानकारी ली जा रही है।