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यूपी में महागठबंधन की रणनीति बिगाड़ सकते हैं ये दिग्गज, चुप्पी दे रहा तूफान का संकेत

locationमहाराजगंजPublished: Mar 05, 2019 01:50:37 am

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लोकसभा चुनाव के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग कभी भी मतदान तिथियों का ऐलान कर सकता है। सपा-बसपा महागठबंधन के बीच सीटों को लेकर भी स्थितियां साफ हो चुकी हैं लेकिन इस बंटवारे के बाद दोनों दलों के तमाम दिग्गजों की आस अब निराशा में बदल चुकी है। कई दिग्गज अपने टिकट को लेकर पक्का दावा कर रहे थे साथी दल के कोटे में सीट चले जाने से उनके अरमान धरे रह गए हैं।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में लोकसभा क्षेत्र की नौ सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां की सभी नौ सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। हालांकि, योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी खाली हुई गोरखपुर संसदीय सीट पर समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव जीतकर सीट हथिया ली है। इस उपचुनाव में जीत के दौरान धुर विरोधी दल एक साथ आए और इसके बाद महागठबंधन की एक नई तस्वीर बनकर सामने आई। यूपी में सपा-बसपा के इस महागठबंधन ने देश की राजनीति में भाजपा विरोधी दलों को एक साथ आने के लिए नए सिरे से प्लेटफार्म भी तैयार कर दिया।
अब चूंकि, महागठबंधन की तस्वीर साफ हो चुकी है तो सीटों के बंटवारे के बाद क्षेत्र के दर्जन भर दिग्गजों की आस धूमिल हो गई है। कुछ ने बयान जारी कर अपनी नाराजगी जता दी है तो तमाम दिग्गज खामोशी से स्थितियों को थाहने में लगे हुए हैं।
मंडल की नौ सीटों में छह सीटें बसपा के खाते में गई है। ऐसे में सपाइयों को सबसे अधिक निराशा हाथ लगी है। हालांकि, कई सीटों पर बसपाई दिग्गजों को भी झटका लगा है।

सपा के इन दिग्गजों को लगा है झटका

गोरखपुर में सपा सांसद प्रवीण निषाद अपने टिकट के प्रति आश्वस्त हैं लेकिन इसी बीच पूर्व मंत्री स्वर्गीय जमुना निषाद के सुपुत्र अमरेंद्र निषाद ने टिकट को लेकर बगावती तेवर दिखा दी है। 2014 में अमरेंद्र की माता पूर्व विधायक राजमति देवी सपा की प्रत्याशी थीं। संतकबीरनगर से सपा नेता पूर्व सांसद भालचंद यादव तो अपने टिकट को लेकर आश्वस्त थे लेकिन बंटवारे में सीट बसपा के खाते में चली गई। यहां पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के सुपुत्र पूर्व सांसद कुशल तिवारी बसपा के दावेदार है। पूर्व सांसद भालचंद यादव टिकट कटने से काफी दुखी हैं। सूत्र बता रहे कि वह कई दलों के संपर्क मेें हैं। डुमरियागंज से सपा नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय चुनाव लड़े थे। लेकिन इस बार यह सीट बसपा के खाते में हैं। बस्ती में पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह ने पूरी ताकत से अपने भाई डिंपल सिंह को चुनाव लड़ाया था। डिंपल दूसरे नंबर पर थे। इस बार माना जा रहा था कि राजकिशोर खुद यहां से प्रत्याशी बनेंगे लेकिन यह सीट भी बसपा के खाते में चली गई। राजकिशोर सिंह ने चुनाव की काफी तैयारियां कर ली थी। बांसगांव से बसपा के सदल प्रसाद चुनावी मोड में थे। हालांकि, यहां की सीट बसपा को मिली जरूर है लेकिन बसपा ने सदल प्रसाद की जगह पर दूसरे को प्रत्याशी बना दिया है। महराजगंज से पूर्व विधान परिषद सभापति गणेश शंकर पांडेय बसपा से तैयारी कर रहे थे लेकिन सीट सपा के खाते में चली गई। समाजवादी पार्टी से पूर्व सांसद अखिलेश सिंह समेत दर्जन भर नेता टिकट की चाहत में जनसंपर्क में लगे थे। लेकिन सपा ने अपने कोटे की इस सीट को निषाद पार्टी के अध्यक्ष डाॅ.संजय निषाद को दे दी है। देवरिया सीट पर सपा से पूर्व विधायक नंदकिशोर मिश्र, पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी, पूर्व सांसद कनकलता सिंह समेत कई बड़े नेता टिकट की दावेदारी कर रहे थे तो सलेमपुर से पूर्व सांसद हरिवंश सहाय जैसे दिग्गज सपाई अपने टिकट को लेकर आश्वस्त थे।
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