जिले के सिसवा बाजार स्थिति इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) की चीनी मिल में शीरे की टंकी फटने से छह मजदूर घायल हो गए। घायलों को डेढ़ घंटे बाद पीएचसी में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।डाक्टरों का कहना है गर्म शीरे से मजदूर जले हैं लेकिन सभी खतरे से बाहर हैं।कुछ देर बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। घटना के बाद मिल में काम बंद कर दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार पेराई शुरू होने से पहले चीनी मिल में सफाई व रिपेयरिंग का काम चल रहा है। मजदूर करीब 65 फीट ऊंचाई पर बने पैन फ्लोर पर कार्य कर रहे थे। भोर में करीब 4:30 बजे अचानक शीरे की टंकी फट गई। गर्म शीरा शरीर पर पड़ने से छह मजदूर रामानंद यादव, सुनील कुमार यादव, हीरामन, हरीशचंद्र, लल्लन यादव और राजेश्वर मद्धेशिया जल गए।
हादसे के बाद मिल में भगदड़ मच गई। गनीमत रहा कि पूरा शीरा मजदूरों के ऊपर नहीं गिरा, इस वजह से बड़ा हादसा होने से टल गया । घटना के डेढ़ घंटे बाद घायल मजदूरों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिसवा पहुंचाया गया इसे लेकर मिल मजदूरों मे काफी देर तक मिल प्रवंधन के खिलाफ गुस्सा था। मिल प्रबंधन टंकी को ठीक कराने में जुट गया है। यूनिट हेड ओपी वर्मा का कहना है कि शीरे की टंकी का कवर निकलने से हादसा हुआ।गनीमत रहा इसमें कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है।
सूचना के बाद भी नहीं ठीक हो पाई टंकी घायल मजदूरों ने बताया कि टंकी में कई दिनों से लीकेज थी। इसकी सूचना मिल प्रबंधन को कई बार दी गई, लेकिन ठीक नहीं कराया गया। मिल प्रबंधन की लापरवाही से यह हादसा हुआ।
सिसवा चीनी मिल में 95 स्थायी और 95 सीजनल कर्मचारी हैं। इसके अलावा 250 दैनिक भोगी मजदूर कार्य कर रहते हैं। मजदूरों के मुताबिक सुरक्षा के लिए मिल में कोई इंतजाम नहीं है। कंपनी नियम के मुताबिक खतरनाक काम करने वाले मजदूरों को सेफ्टी शूज, हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट दिया जाना चाहिए। लेकिन सिसवा चीनी के मजदूरों को यह सामग्री नहीं दी गई है। इससे यहां के मजदूर और कर्मचारी जान जोखिम में डालकर कार्य करने को मजबूर हैं। दुघर्टना और सुरक्षा बीमा भी नहीं कराया गया है।
पहले भी हो चुका था हादसा सिसवा चीनी मिल में हादसा कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2011-2012 में पेराई शुरू होने के कुछ दिन बाद ही लोहेपार निवासी मजदूर गुगुल पांडे की क्रेन में गिरने से मौत हो गई थी।
By Yashoda Srivastava