scriptएंग्री यंग मैन की छवि वाले राजनेता की मुख्यमंत्री तक सफर तय करने की कहानी | The untold story of CM Yogi Adityanath, journey to UP CM from Mandir | Patrika News

एंग्री यंग मैन की छवि वाले राजनेता की मुख्यमंत्री तक सफर तय करने की कहानी

locationमहाराजगंजPublished: Jun 06, 2019 02:12:46 am

बीजेपी का फायरब्रांड नेता जिसे पार्टी ने अचानक बना दिया सीएम

Yogi Adityanath

एंग्री यंग मैन की छवि वाले राजनेता की मुख्यमंत्री तक सफर तय करने की कहानी

बात करीब चौदह साल पहले की है। कुशीनगर के मोहन मुंडेरा में एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार होता है। मामला सांप्रदायिक रूप ले लेता है। पुलिस प्रशासन पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर देती है। एक युवा नेता ऐलान करते है कि वह गांव में जाएंगे ताकि मासूम को न्याय मिल सके। उनको रोकने के लिए भारी फोर्स बुला ली जाती है। लेकिन प्रशासनिक सख्ती के बावजूद वे पहुंचते हैं। सारे इंतजामात धरे के धरे रह जाते। काफिला गांव से बाहर निकलने पर मानो वहां खड़े हो बुत बने डीएम और एसपी में जान आती है। लेकिन तबतक सबकुछ हो चुका होता है। यह युवा नेता कोई और नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ थे। राजनीति में धमाकेदार इंट्री करने वाले सांसद योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल के सबसे पूज्यनीय पीठ गोरक्षनाथ मंदिर के महंत हैं। आज उनका जन्मदिन हैं। अपनी फायरब्रांड छवि की वजह से हिंदुत्व के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित हो चुके योगी आदित्यनाथ की चर्चा आज की तारीख में यूपी के मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी की पूरे देश में जीत के लिए मोदी-शाह जोड़ी के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी महती योगदान है। आज की तारीख में वह बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारकों में एक हैं।
CM Yogi Adityanath
अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ तक का सफर

योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड में हुआ था, उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया है। महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आने के बाद वे उनकी सेवा में लग गए। 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ से दीक्षा ली थी। महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद महंत के रूप में सर्वसम्मति से योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी की गई। अब वे गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं।
सबसे कम उम्र के सांसद

गोरखनाथ मंदिर का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवेद्यनाथ ने राजनीति से सन्यास ले लिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पहला चुनाव वह 26 हजार के अंतर से जीते, पर 1999 के चुनाव में जीत-हार का यह अंतर 7,322 तक सिमट गया था। लेकिन बाद के चुनावों में जीत का अंतर भी बढ़ता गया। योगी आदित्यनाथ 2014 का लोकसभा चुनाव जीते तो पांचवीं बार लगातार चुनाव जीतकर वह लोकसभा में पहुंचे थे।
2017 में संभाली यूपी की कमान

हालांकि, 2017 में यूपी में प्रचंड बहुमत के बाद भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनको गोरखपुर लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिए थे।

हियुवा की वजह से पूरे पूर्वांचल में बनाई पैठ

योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं। हियुवा के लोगों के अनुसार यह हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। हालांकि, हिंदू युवा वाहिनी के खाते में गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, मउ, आजमगढ़ आदि जिलों में मुसलमानों पर हमले और सांप्रदायिकता फेलाने का आरोप होने के साथ साथ कई गंभीर केस भी दर्ज है। हिंदू युवा वाहिनी का गांव गांव में पैठ है। बीजेपी के अतिरिक्त पूरी हियुवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सक्रिय रहती है। यूपी की बीजेपी सरकार में हियुवा के दर्जन भर से अधिक पदाधिकारियों को सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। इन पदाधिकारियों को विभिन्न निगमों व आयोगों में समायोजित किया गया है।
Yogi Birthday special
2007 के गोरखपुर दंगों का आरोप

2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। चारो ओर दंगा भड़क गया। आगजनी, लूटपाट जैसी घटनाएं शुरू हो गई। कई अधिकारी सस्पेंड हुए। पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए हियुवा पर कार्रवाई की। इस दंगे के बाद हियुवा की उग्रता में थोड़ी कमी आई।
मंदिर का शिक्षा के क्षेत्र में अहम रहा है योगदान

गोरखनाथ मंदिर का शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान है। मंदिर द्वारा चलाए जाने वाली तीन दर्जन से अधिक शिक्षण-स्वास्थ्य संस्थाओं के वह अध्यक्ष या सचिव हैं। योगी आदित्यनाथ एक मेडिकल इंस्टीट्यूट बनाने में भी जुटे हैं। मंदिर की सम्पत्तियां गोरखपुर, तुलसीपुर, महराजगंज और नेपाल में भी हैं।
सीधे जनता से जुड़ना भी लोकप्रियता की वजह

जब योगी आदित्यनाथ सांसद रहे तो गोरखपुर में ही रहते थे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद वह यहां नहीं रहते। लेकिन जब भी गोरखपुर आते हैं तो गोरखनाथ मंदिर में ही ठहरते हैं। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा-पाठ निपटाने के बाद उनकी दिनचर्या का शुभारंभ सुबह मंदिर में लगने वाले दरबार से होती है। यहां वह लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उसके समाधान के लिए अफसरों को आदेश देते हैं। इसके बाद क्षेत्र में कार्यक्रमों और बैठकों में व्यस्त हो जाते हैं। जानकार बताते हैं कि उनकी सबसे बड़ी खासियत लोगों से सीधा संवाद है।
सीएम बनने के बाद गोरखपुर में पंद्रह हजार करोड़ से अधिक परियोजना

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने जिला गोरखपुर में विकास कार्याें को गति दे दी है। यहां करीब पंद्रह हजार करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाएं चल रही है। पुरानी परियोजनाओं में चिड़ियाघर, रामगढ़ ताल परियोजना पूरा होने को है। एम्स का निर्माण हो रहा, फर्टिलाइजर को पुनः चालू कराने के लिए खाद कारखाना का निर्माण चल रहा। बंद पड़ी पिपराइच चीनी मिल चालू कर दिया गया है।
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