अधिनियम का उल्लंघन
उन्होंने कहा कि बटुकों से इस प्रकार के कार्य करवाना बाल श्रमिक अधिनियम का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन माना जाएगा। यदि महाकाल मंदिर समिति ऐसा कार्य बटुकों से करवाएगी, तो यह कानूनन अपराध की श्रेणी में आएगा। ब्राह्मण समाज महाकाल मंदिर प्रशासक के खिलाफ बाल श्रमिक अधिनियम के उल्लंघन का मामला सर्वप्रथम महाकाल थाने में दर्ज कराएगा। यह तुगलकी निर्णय मंदिर प्रबंध समिति तुरंत वापस ले, अन्यथा ब्राह्मण समाज इसका तीव्र विरोध सामने व सड़कों पर आकर करेगा।
रुपए लेकर क्यों दर्शन करा रही समिति
पं. चतुर्वेदी ने कहा कि मंदिर समिति स्वयं रुपए लेकर दर्शन क्यों करवा रही है, 100 व 250 रुपए के टिकट पर वीआईपी दर्शन समाप्त किए जाएं। भस्म आरती शुल्क समाप्त किया जाए और विशेष पूजा करने के लिए गर्भगृह में जाने के 1500 रुपए दर्शनार्थियों से लिया जाना समाप्त किए जाएं, मंदिर समिति का यह निर्णय केवल ब्राह्मणों के परंपरागत एवं पैतृक व्यवसाय पर कुठाराघात के अलावा और कुछ नहीं है।
रतलाम के पुजारी के साथ हुई घटना भूलना नहीं चाहिए
अध्यक्ष पं. चतुर्वेदी ने कहा महाकालेश्वर मंदिर समिति को हाल ही में रतलाम के लक्ष्मी मंदिर में पुजारी के साथ हुए घटनाक्रम और ब्राह्मण समाज द्वारा प्रशासन के खिलाफ किए गए तीव्र आंदोलन को भूलना नहीं चाहिए, इसकी पुनरावृत्ति उज्जैन में यदि इस प्रकार के निर्णय महाकाल समिति लेगी, तो तुरंत प्रतिक्रिया स्वरूप किए जाएंगे।
समिति की दोहरी मानसिकता उजागर
तीर्थ पुरोहित महासंघ मप्र, श्रीरामघाट तीर्थ पुरोहित सभा अवंतिकापुरी एवं पुजारी उत्थान कल्याण समिति मप्र के पदाधिकारियों ने कहा कि महाकाल मंदिर समिति द्वारा बटुकों से कलावा बंधवाने और तिलक लगाने का निर्णय उचित नहीं है, इससे दोहरी मानसिकता उजागर हो रही है। कलावा व तिलक सामग्री की खरीदी मूल्य से भी कम होती है, साथ ही पुजारियों की आय का एकमात्र साधन है, जिससे उनके परिवार की रोजी-रोटी चलती है, समिति जिन बटुकों के माध्यम से यह व्यवस्था करने जा रही है, वो बटुक यहां विद्याध्ययन करने आए हैं न कि समिति के निर्णय का पालन करने। वहीं समिति गरीब श्रद्धालुओं का हवाला दे रही है, तो गर्भगृह में जल चढ़ाने की अनुमति हेतु 1500 रु. की रसीद क्यों काट रही है। क्या वहां गरीब व्यक्ति नजर नहीं आ रहा, उस व्यवस्था में समिति की क्या मानसिकता है। समिति को पुन: विचार करना चाहिए और मंदिर विकास व मंदिर के हित में लिए जाने वाले निर्णय प्रबुद्धजनों के साथ मिलकर लेना चाहिए।