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एनालिसिसः अलिखेश ने डिंपल को मैदान में उतारने से पहले ही चली थी ‘शाक्य’ चाल

locationमैनपुरीPublished: Dec 08, 2022 05:04:11 pm

Submitted by:

Gopal Shukla

‌‌डिंपल यादव को मैनपुरी में उतारने से पहले अखिलेश यादव ने अपने जिलाध्यक्ष बदलकर चाणक्य नीति लगा दी थी। जानते हैं डिंपल की जीत की 3 सबसे बड़े कारण…

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मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव की जीत के पीछे कुल 3 खास कारण हैं। भारतीय जनता पार्टी यानी BJP के रघुराज शाक्य को बड़े अंतर से हराने के लिए ‌डिंपल से ज्यादा अखिलेश और शिवपाल की नीतियां काम आईं। आइए तीनों वजहों की तरफ अवरोही क्रम में चलते हैं…
कारण 3ः मुलायम के निधन के बाद सहानुभूति बनी वजह
मैनपुरी संसदीय सीट मुलायम सिंह यादव का गढ़ रहा है। मुलायम सिंह के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी। इसे बचाने में डिंपल यादव कामयाब रहीं। मैनपुरी की जनता भावनात्मक रूप से अपने नेताजी से जुड़ी हुई है। ये बात डिंपल की जीत पर सही साबित हुई।
मुलायम के निधन के बाद ये सीट सपा और अखिलेश के लिए चुनौती के रूप में देखी जा रही थी। चुनौती से निपटने को भतीजे अखिलेश चाचा शिवपाल की शरण में पहुंचे। शिवपाल यादव भाई के लिए गिले शिकवे भुला आगे आए। शिवपाल संजीवनी साबित हुए और मुलायम के प्रति लोगों की सहानुभूति सपा का सबसे बड़ा सहारा बनी।
कारण 2ः अखिलेश-शिवपाल ने निकाली शाक्य वोटर की काट
डिंपल को उतारने से पहले ही सपा ने पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को जिलाध्यक्ष बना दिया। बीजेपी ने शाक्य समाज के उम्मीदवार को उतारा था। इसी के चलते शाक्य को शाक्य के सामने लाकर बड़ा दांव चला गया। मैनपुरी में यादवों के बाद शाक्य समाज आबादी में दूसरे नंबर पर है। इस तरह से सपा शाक्य वोटर को साधने में कामयाब रही।
कारण 1ः जातीय समीकरण
मैनपुरी सीट पर सपा की जीत की बड़ी वजह जातीय समीकरण बनी। इस सीट पर 17 लाख वोटर हैं। इनमें यादव वोटरों की संख्या करीब 4.25 लाख है। इसके बाद शाक्य समाज के वोटर करीब 3.25 लाख हैं।
इन वोटर को साधने के लिए ही बीजेपी ने शाक्य समाज का उम्मीदवार उतारा। इसके बाद राजपूत, ब्राह्मण, लोधी, दलित और मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, जानकारों का मानना है कि बसपा के प्रत्याशी न उतारने से उनका वोटर सपा में चला गया।

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