पूर्व सपा मुखिया Mulayam Singh Yadav की भतीजी और सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले Zila Panchayat सदस्यों ने ऐसा पाला बदला कि सभी हैरान रह गए।
मैनपुरी। Zila Panchayat Adhyaksh पद पर भाजपा की नजरें गढ़ी थीं। लेकिन, सपा को उसके गढ़ में ही पटखनी देने के लिए भाजपा ने जबरदस्त मास्टर स्ट्रोक खेला। पूर्व सपा मुखिया Mulayam Singh Yadav की भतीजी और सांसद
धर्मेंद्र यादव की बहन के खिलाफ अविश्चास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले जिला पंचायत सदस्यों ने ऐसा पाला बदला कि सभी हैरान रह गए। जिला पंचायत सदस्य डीएम के सामने ही नहीं पहुंचे और अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया।
सदर विधायक ने सौंपा था सदस्यों का शपथ पत्र
गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले ही पूर्व सदर विधायक राजकुमार यादव के नेतृत्व में करीब 23 Zila Panchayat सदस्यों ने अध्यक्ष पद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया था। इसके बाद डीएम यशवंत राव ने मामले को संदिग्ध मानते हुए सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से आने को कहा था। सपा के लिए यहां गुटबाजी होने लगी। सूत्रों के मुताबिक 32 में से करीब 23 सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के पक्ष में शपथ पत्र दिए।
समर्थन पत्र के बाद नहीं आए सदस्य
जिलाधिकारी के सामने जिला पंचायत सदस्यों को पहुंचना था। लेकिन, जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सदस्य नोटिस देने के बाद भी नहीं आए। सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने यहां एक गुट के साथ सेटिंग की और सदर विधायक के अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन पत्र को खारिज कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लड़ाई से पहले की जंग हार गई सपा
राजनीति में ये परिवार में पहली लड़ाई है। जहां पूर्व सपा मुखिया Mulayam Singh Yadav और बदायूं से सांसद
धर्मेंद्र यादव की बहन के खिलाफ खुद सपाईयों ने ही अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया। सूत्रों के मुताबिक सपा के सदर विधायक राजकुमार यादव अपनी पत्नी वंदना यादव के लिए इस पद पर लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन, सपा लड़ने से पहले ही यहां की लड़ाई हार गई।
विरोध शुरू से था
गौरतलब है कि जिन 13 जिला पंचायत सदस्यों के बारे में बात की जा रही थी कि वे अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अहम भूमिका निभा सकते हैं। कहा जाता था कि ये वे 13 Zila Panchayat सदस्य हैं जो अध्यक्ष के धुर विरोधी हैं, लेकिन यहां खेल हुआ और सारी गलफत दूर हो गई।