कोच बनकर चमकाएं किस्मत
आज के युवा टैलेंट के लिए खिलाड़ी के तौर पर राज्य स्तरीय इवेंट्स में खेलते हुए नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के मैचों में प्रतिभा दिखाने के ढेर सारे मौके तो हैं ही। खिलाड़ी के तौर पर कॅरियर खत्म होने के बाद आप स्पोट्र्स कोच, कंसल्टेंट के रूप में कॅरियर ऑप्शंस भी चुन सकते हैं। एक खिलाड़ी की काबिलियत की पहचान और उसकी प्रतिभा को निखारने वाला कोच ही होता है। तकरीबन हर खेल में कोच की अहम भूमिका होती है। इसलिए जिस खेल में आपकी दक्षता है उसमें हाथ आजमा सकते हैं।
एथलेटिक थेरेपिस्ट या फिजियोथेरेपिस्ट में अच्छा स्कोप
आज क्रिकेट के अलावा कई अन्य खेलों में दिलचस्पी रखने वाले युवा अपने प्रशिक्षण और फिटनेस के प्रति खासे सजग हैं और इस पर पूरा फोकस कर भी रहे हैं। इसके चलते एथलेटिक थैरेपी एक नए विकल्प के तौर पर उभरा है। फिजियोथेरेपी कोर्स करके इस फील्ड में एंट्री पाई जा सकती है।
स्पोट्र्स मैनेजर बनना भी है फायदेमंद
खेल टीमों का प्रबंधन करने से लेकर राज्यों के विभिन्न खेल बोड्र्स का प्रबंधन करने के लिए स्पोट्र्स मैनेजर्स की जरूरत देखी जा रही है। सफल खिलाड़ी भी अपनी बिजनेस एक्टिविटीज, फाइनेंस, प्रोडक्ट एडवरटाइजिंग, मीडिया, पब्लिक रिलेशन, बिजनेस प्रमोशन आदि को मैनेज करने के लिए स्पोट्र्स मैनेजमेंट से जुड़े प्रोफेशनल्स की सहायता लेते हैं। ऐसे में सक्रिय खेलों के अलावा इस विधा को अपनाया जा सकता है।
क्या हो शैक्षणिक योग्यता
वैसे तो खेल मे कॅरियर बनाने के लिए आपको विशेष डिग्री की आवश्यकता नहीं होती। यदि आप खिलाड़ी के रूप में कॅरियर बनाना चाहते हैं तो आपको स्कूल एवं कॉलेज के स्तर की प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। खेल प्रशिक्षक एवं कोच बनने के लिए आपको खेल में महारत हासिल करने के साथ फिजिकल एजुकेशन जैसे विषयों में डिग्री एवं डिप्लोमा करना होगा। प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य के अनुभव को भी कई बार प्राथमिकता मिलती है।