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इमोशनल इंटेलीजेंस को डवलप करने में टेड टॉक्स और डेविड कोलमैन के मोटिवेशनल वीडियो सबसे कारगर हैं। इसके अलावा इमोशनल इंटेलीजेंस को लेकर ऑनलाइन क्विज भी आपके लिए मददगार साबित हो सकती है। मेडिटेशन, फीडबैक, रीडिंग जैसी एक्टिविटी से भी इमोशनल इंटेलीजेंस को डवलप किया जा सकता है।
सेल्फ अवेयरनेस है ईआई का आधार
इमोशनल इंटेलीजेंस का मुख्य आधार सेल्फ अवेयरनेस है। स्ट्रेंथ और विल पावर को लेकर अवेयर रहने वाले एम्प्लॉइज को इमोशनल इंटेलीजेंस के मॉड्यूल में जरूर शामिल करना चाहिए। इसके अनेक फायदे हैं। सेल्फ अवेयरनैस का चैप्टर कहता है किसी भी एम्प्लॉई को टास्क देने से पहले उसके साथ आपको या आपके टीम लीडर को इंटरेक्शन करना चाहिए जिससे कि उस प्रोजेक्ट के प्रति वह कितना संवेदनशील है या कितनी विल पावर से वह उस प्रोजेक्ट को पूरा कर सकता है कि जानकारी आपको मिल सके। सैल्फ अवेयर एम्प्लाई किसी भी स्टार्टअप के लिए बेनिफिशियल और महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
बूस्ट पॉजिटिविटी
ईआई पॉजिटिविटी के लिए कारगर रहती है। इसके उपयोग से आप सीख सकते हैं कि कैसे फेलियर को आसानी से हराया जा सकता है। पॉजिविविटी बूस्टर इमोशनल इंटेलीजेंस के मुख्य वैपन में से एक है। मनोवैज्ञानिक और स्टार्टअप एक्सपर्ट के अनुसार इंडिया में 80 फीसदी यंग एंटरप्रेन्योर शुरुआती तीन-चार वर्ष अपनी टीम को लेकर काफी परेशान रहते हैं। इसलिए यंग एंटरप्रेन्योर को इमोशनल इंटेलीजेंस के माड्यूल को अपनाने की खासी जरूरत है।
सेल्फ मोटीवेशन भी जरूरी
स्ट्रेटिजिक पार्टनरशिप, सेल्फ मोटिवेशन भी इमोशनल इंटेलीजेंस एक्सपर्ट की लिस्ट में सम्मिलित है। सभी स्टार्टअप के लिए आवश्यक है कि प्रतिमाह ऐसे मॉड्यूल को ऑफिस एक्टिविटी में सम्मिलित करें, जिससे कि आपके एम्प्लॉई और अधिक क्रिएटिविटी और प्रोडक्टीविटी के साथ काम कर सकें। शुरुआत में इस विधा पर काम करने में थोड़ा समय लगता है लेकिन कुछ ही दिनों में इसका असर भी दिखने लगता है।