scriptविदेशों में हैंडराइटिंग के आधार पर मिलती है नौकरी | Handwriting helps you in getting jobs in foreign countries | Patrika News

विदेशों में हैंडराइटिंग के आधार पर मिलती है नौकरी

locationजयपुरPublished: Oct 06, 2018 06:14:50 pm

टोक्यो (जापान) के कृषि एवं तकनीकी इंस्टीट्यूट के तकनीकी विशेषज्ञ प्रो. मसाकी नाकागावा ने हैंडराइटिंग (हस्तलेखन) का महत्व बताते हुए कहा कि विदेशों मे….

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टोक्यो (जापान) के कृषि एवं तकनीकी इंस्टीट्यूट के तकनीकी विशेषज्ञ प्रो. मसाकी नाकागावा ने हैंडराइटिंग (हस्तलेखन) का महत्व बताते हुए कहा कि विदेशों में तकनीक के जरिए हस्तलेखन का आकलन कर आवेदक की योग्यता का मूल्यांकन कर लिया जाता है और उसी आधार पर नौकरी के लिए चयन होता है। माता गुजरी महिला महाविद्यालय (स्वशासी) में ‘रीसेंड एडवांस इन कम्प्यूटर साइंस, मैथमेटिक्स, फिजिक्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी बुधवार और गुरुवार को हुई।

इस संगोष्ठी में हिस्सा लेने आए प्रो$ मसाकी नाकागावा ने प्रतिभागियों की हैंडराइ्िरटंग एनालिसिस की तकनीक का विश्लेषण करते हुए बताया कि विदेशों में किस तरह नौकरी के उम्मीदवारों की योग्यता का मूल्यांकन उनके आवेदन की हैंडराइटिंग का विश्लेषण कर किया जाता है।

इस मौके पर ट्रिपल आईटी की पूर्व निदेशक प्रो$ अपराजिता ओझा ने डेटा एनालिसिस की चर्चा करते बताया कि फेसबुक, वाट्सएप के माध्यम से डेटा लेकर उनका गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। युवाओं को कम से कम डेटा फेसबुक या वाट्सएप पर शेयर करना चाहिए। दो दिवसीय संगोष्ठी में अतिथि के तौर पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति कपिल देव मिश्र, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति बी$ एस$ चौहान, उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ के एल जैन अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में गणित व कम्प्यूटर विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो$ पी$ वी$ जैन तथा आईआईआईटी की प्रोफेसर प्रीति खन्ना ने अपने अनुभव साझा किए।महाविद्यालय के 25वें वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में हुई इस संगोष्ठी में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. मंजूषा पौराणिक, संगोष्ठी संयोजक डॉ$ रीनू शर्मा ने संगोष्ठी के आयोजन का मकसद बताया।

गुरु गोबिंद सिंह एजूकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष के एस बंसल ने महाविद्यालय के 25 वर्ष पूरे होने पर सभी को बधाई दी और उम्मीद जताई कि प्रगति का यह क्रम बना रहेगा। संगोष्ठी में सह-संयोजक की भूमिका डॉ$ कविता गौर एवं प्रीति पाठक ने निभाई।

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