कैसी एक्टिविटीज होती हैं
पीड़ित की पहचान कैसे करें
ऐसे बच्चों के रूटीन अचानक विचित्र रूप से बदल जाते हैं। उनके खाने-पीने के समय से लेकर सोने के समय में भी बदलाव आ जाता है। वे अचानक कम्प्यूटर और मोबाइल फोन पर काम बंद कर देते हैं, फ्रेंड्स से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं ।
स्कूल और कॉलेज के लिए प्रावधान
शैक्षिक संस्थानों में साइबर बुलिंग रोकने के लिए अलग से कानूनी प्रावधान नहीं हैं परन्तु मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर स्कूल्स में एंटी-रैगिंग समिति का गठन होता है जो ऐसी वारदातों में संलिप्त दोषी छात्रों पर कार्रवाई करती है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी लेवल पर भी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के द्वारा एंटी-रैगिंग समिति के निर्माण की व्यवस्था की गई है। ‘यूजीसी रेग्युलेशन्स ऑन कर्बिंग दि मेनिस ऑफ रैगिंग इन हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस, 2009’ जैसे कानून भी बनाए गए हैं।
कैसे रोकें साइबर बुलिंग
खुद को शांत रखें और दोषियों को न तो कोई जवाब दें और न ही प्रतिक्रिया। इस तरह के संकट से खुद को अलग रखें, रिएक्ट नहीं करें, रेस्पॉन्स नहीं दें। सिचुएशन के बदतर होने की स्थिति में किसी साइबर क्राइम एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं।
भारत में कानून
यह हकीकत है कि भारत में साइबर बुलिंग को रोकने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं, लेकिन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 67 के तहत इस तरह की वारदातों पर कार्रवाई की जाती है। इस सेक्शन के अंतर्गत अश्लील मैटेरियल्स को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में प्रकाशित करने या टेलीकास्ट करने के लिए 3 वर्ष के कारावास और 5 लाख रुपए आर्थिक दंड की व्यवस्था की गई है । इसके अतिरिक्त साइबर बुलिंग कानून के इन प्रावधानों में भी कानूनी कार्रवाई की जाती है-
आइपीसी सेक्शन 507
इस प्रोविजन के तहत कोई भी व्यक्ति जब अज्ञात माध्यमों से किसी को आपराधिक धमकी देता है तो उसके लिए 2 वर्ष की सजा दी जा सकती है।
आइटी एक्ट सेक्शन 66 ई
यह लीगल प्रोविजन मुख्य रूप से प्राइवेसी के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। इस सेक्शन के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की निजी तस्वीरों और जानकारियों को जान बूझकर सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करता है और उसे टेलीकास्ट करता है तो निजता के उल्लंघन के लिए उसे 3 वर्ष की सजा या फिर 3 लाख रुपए के आर्थिक दंड की व्यवस्था है।