मैनेजमेंट मंत्र

प्रोफेशनल गेमिंग में भी बना सकते हैं कॅरियर, करोड़ों की होगी सैलेरी

इन दिनों बच्चे एक नए खेल से जुड़ गए हैं जो उनका कॅरियर भी बना सकती है।

Mar 23, 2020 / 05:04 pm

सुनील शर्मा

स्कूल के बाद होमवर्क करने के दबाव के चलते कई बार बच्चों को खेलने का वक्त नहीं मिल पाता, लेकिन आजकल बच्चे खेल के लिए समय निकाल पा रहे हैं। खेल ही नहीं, बच्चे सेहत का भी ध्यान रखते हुए सुबह व्यायाम करते हैं। व्यायाम करने के बाद बच्चे स्कूल जाते हैं। ऐसा वे हर रोज करते हैं। लेकिन इन दिनों बच्चे एक नए खेल से जुड़ गए हैं जो उनका कॅरियर भी बना सकती है।

इन दिनों ‘लीग ऑफ लेजेंड्स’ खेल स्कूली बच्चों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है। कई बच्चे तो अपना नाम बदलकर इसे खेल रहे हैं। खेल के प्रति बच्चों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए इस खेल के प्रति जिम्मेदार 100 थीव्स अकादमी अब ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़ना चाहती हैं जो इनमें अच्छा कर रहे हैं, भले ही वे दूसरे नाम से इस खेल से जुड़े हुए क्यों न हो। अकादमी के मुख्य कोच केलसी मोजर ऐसे बच्चों से सीधे तौर पर इमेल या टेक्स्ट संदेश के जरिए अकादमी से जुड़ने के लिए कह रहे हैं। मोजर ने अपने संदेश में इन बच्चों से कहा है कि वे इन शीर्ष खिलाड़ियों को अपनी टीम के साथ जोड़ना चाहते हैं। कोच का संदेश पाने वाले बच्चे भी इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि वे अकादमी के साथ जुड़ने वाले हैं। हालांकि मोजर ने बच्चों को भेजे अपने संदेश में कहा है कि वे चाहते है कि बच्चे सिर्फ खेल पर ही नहीं, अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान लगाएं। उसे पूरा करना उनकी पहली प्राथमिकता होना चाहिए। 100 थीव्स अकादमी जिन बच्चों को अपने से जोड़ना चाहती है, वे ज्यादातर हाई स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स हैं।

करोड़ों में है सैलेरी
100 थीव्स अकादमी के अनुसार, हर वर्ष लीग ऑफ लेजेंड्स चैंपियनशिप सीरीज का आयोजन किया जाता है। सीरीज के तहत उत्तरी अमरीका की प्रतिभा को बढ़ावा दिया जाता है, क्योंकि ज्यादातर टीमों में विदेशों से आए खिलाड़ियों का वर्चस्व है। इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों की सैलेरी हर साल बढ़ रही है और 2019 में औसत वेतन 3 लाख डॉलर (करीब 2 करोड़ 26 लाख) थी। अकादमी के आयुक्त क्रिस जौली ने कहा कि हम टीमों को अंजान खिलाड़ियों पर पैसा लगाने के लिए कहते हैं, न की महंगे विदेशी खिलाड़ियों पर।

बैठाना पड़ता है तालमेल
अकादमी के साथ जुड़े बच्चों को हफ्ते में 15 से 20 घंटे अपनी टीमों को देने होते हैं। कुछ खिलाड़ियों को अंशकालिक नौकरी की प्रतिबद्धता को भी पूरा करना होता है, वही किशोर खिलाड़ियों को स्कूल कार्य पूरा करने के साथ साथ नई जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बैठाना भी एक चुनौती है। इसके लिए बच्चे कैंपस पर जल्दी आकर अपना होमवर्क पूरा करते हैं, ट्रेनिंग करने के बाद फिर स्कूल जाते हैं। उनके ग्रेड स्थिर बने हुए हैं।

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