फैक्ट्रियों से निकलने वाले कूड़े, घर की बेकार चीजें फेंकने से पर्यावरण को क्षति होती है। साथ ही प्रदूषण घटाने के लिए अपशिष्ट पदार्थों को रीसाइकिल कर पुन: प्रयोग में लेने के योग्य बनाते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थों को फिर से नया रूप देने की प्रक्रिया को ही वेस्ट मैनेजमेंट कहते हैं।
लगाव जरूरी
दुनिया को सुंदर और साफ देखने का संकल्प लिए प्रोफेशनल में प्रकृति और पर्यावरण से लगाव जरूरी है। अपशिष्ट पदार्थों को दोबारा प्रयोग में लेने के रचनात्मक तरीकों को ढ़ूढने के अलावा रीसाइकिल हुई चीज को किस तरह नया रूप देना है, दिमाग में होना चाहिए।
संबंधित कोर्स
देशभर में वैसे तो इससे जुड़ा कोई नया या अन्य कोर्स उपलब्ध नहीं है। हालांकि यह पर्यावरण विज्ञान के कोर्स में एक विषय के रूप में शामिल किया गया है। इसमें तीन साल के कोर्स जैसे एन्वारन्मेंटल साइंस में बीएससी व बीई तथा दो साल के मास्टर्स कोर्स संचालित होते हैं। जैसे एन्वारन्मेंटल साइंस में एमएससी व एमटेक।
योग्यता
बीएससी या बीई में प्रवेश के लिए साइंस विषयों सहित 10+2 उत्तीर्ण होना जरूरी है। विभिन्न संस्थान इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन भी करते हैं। वहीं मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश के लिए बैचलर्स डिग्री प्राप्त होनी चाहिए। वेस्ट मैनेजमेंट में एक वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम भी किया जा सकता है।
सैलेरी पैकेज
प्रोफेशल को शुरुआती स्तर पर इस फील्ड में 20 से 25 हजार रुपए प्रतिमाह सैलेरी मिल सकती है। अनुभव बढऩे के साथ ही सैलेरी में बढ़ोत्तरी होती है। 2-3 वर्ष के अनुभव के बाद 35-50 हजार रुपए प्रतिमाह कमाए जा सकते हैं। यदि आप इसमें अपना स्वयं का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो इसमें करोड़पति बनने के भी अवसर हैं।
यहां से ले सकते शिक्षा