प्रिटिंग कॉस्ट हमेशा हर कंपनी को बड़ा खर्चा करने पर मजबूर करती है। पेपर, इंक और मशीन की मेंटीनेंस में पैसा तो लगता ही है, साथ ही एंप्लॉइज भी अपने कीमती समय प्रिंटर से संबंधी इश्यूज को डील करने में खराब करते हैं। आपको प्रिंटर ठीक करने के लिए आईटी सेल को भी अलग से एंगेज करना पड़ता है। इसलिए जितना हो सके, पेपर हटा दें। यहां तक कि कॉन्ट्रैक्ट्स साइन करने के लिए ऑनलाइन सिग्नेचर सर्विसेज का इस्तेमाल करें। अगर कागज के बजाय टेक्नोलॉजी काम में लेंगे तो आपकी ढेर सारी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाएंगी।
आउट ऑफ टाउन कॉन्फ्रेस करने में हमेशा खर्चा ज्यादा होता है। इसलिए इस कॉस्ट को हमेशा के लिए कम करने के लिए किसी अच्छे वेब कॉन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर में इंवेस्ट करें, जिसकी मदद से आप दुनिया भर में कहीं भी फेस टू फेस बातचीज कर सकते हैं। हां, ऐसा भी न करें कि आप ट्रैवलिंग बिल्कुल छोड़ दें, जहां बड़ा फायदा हो रहा हो, वहां जरूर जाएं लेकिन ट्रैवलिंग कम जरूर कर दें। आप देखेंगे कि आपकी कंपनी की कॉस्ट अपने आप कम हो गई है और मुनाफे पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
जिन कामों को आप फ्रीलांसर्स से करवा सकते हैं, उनके लिए स्टाफ रखने की भूल न करें। कई बार महीने में दो-चार काम ही होते हैं, जिन्हें फ्रीलांसर्स से आराम से कराया जा सकता है। इसके लिए स्टाफ रखने की जरूरत नहीं होती। हां, फ्रीलांसर्स चुनते समय क्वालिटी का जरूर ध्यान रखें। अच्छे फ्रीलांसर्स थोड़े ज्यादा पैसे मांगते हैं लेकिन काम भी अच्छी क्वालिटी का करते हैं, जो खराब काम को फिर से ठीक कराने से अच्छा है। फ्रीलांसर्स के कारण आपको ऑफिस में होने वाले छोटे-मोटे खर्चों से भी मुक्ति मिल जाती है। आपको पेरोल पर एम्प्लॉइज नहीं रखने से उनका बीमा आदि जैसी कई चीजों से भी मुक्ति मिलती है। वर्तमान समय में कई बड़ी कंपनी फ्रीलांसर्स की मदद से आगे बढ़ रही हैं।
ग्रो ग्रीन का सिद्धांत न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि जेब के लिए भी उतना ही फायदेमंद है। इसलिए आपका ऑफिस छोटा हो या फिर बड़ा, इसमें बिजली बचाने वाली लाइट्स लगाएं। खिड़कियों का सिस्टम इस तरह से रखें कि दिन में लाइट जलाने की जरूरत न पड़े। ऑफिस के एसी भी फाइव स्टार लगवाएं। इसके साथ अपने एंप्लॉइज को इस बात के लिए प्रेरित करें कि जब वे सीट से उठें तो कम्प्यूटर, लाइट, पंखे आदि बंद करके ही उठें। इससे बिजली का बिल काफी कम हो जाएगा।
इंश्योरेंस कभी सस्ता नहीं पड़ता और ऐसा भी नहीं है कि आपको इसे पूरी तरह से कट कर देना चाहिए। आखिर इंश्योरेंस ही है बहुत जरूरी चीज लेकिन इतना ध्यान रखें कि चाहे वह कार इंश्योरेंस हो, बिल्डिंग इंश्योरेंस या अन्य किसी तरह का इंश्योरेंस, हमेशा इस बात का रिव्यू करते रहें कि कहीं कोई दूसरी कंपनी बेहतर डील तो नहीं दे रही। रिव्यू में दिया गया यह छोटा सा समय आपके हर साल लाखों रुपए बचा सकता है, जबकि आपको मिलने वाले लाभ में कोई कमी नहीं आएगी। आपको छोटी रकम में बड़ा सुरक्षा कवर मिलेगा।
बड़े सर्विस प्रोवाइडर्स हमेशा छोटा बिजनेस को वही चीज इस्तेमाल करने पर मजबूर करते हैं, जो वो ऑफर करते हैं, जबकि समान लोकल ऑप्शन अपनी सर्विस में आपकी जरूरत के मुताबिक बदलाव कर देते हैं। इसलिए जिन बड़ी कंपनी से आपकी डीलिंग है, उसकी लिस्ट बनाएं और उसे अपनी जरूरत के मुताबिक लोकल कंपनियों की लिस्टिंग से मैच करें। आप देखेंगे कि छोटी कंपनियां आपकी जरूरतों को न केवल नियत टाइम फ्रेम में पूरा करती है, बल्कि आपके मुताबिक उनमें बदलाव कर देती हैं।
क्या ऑफिस में क्लाइंट नियमित रूप से आते-जाते हैं? अगर नहीं तो ऑफिस को उस जगह ले जाएं, जहां पर किराया कम हो यानी किसी प्राइम लोकेशन की बजाय कम प्राइम लोकेशन पर या फिर शहर के आउटस्कर्ट्स में ऑफिस लें। किराया कम करके ही कंपनी की कॉस्ट कम करने के लिए यह अच्छा उपाय है। अपने एंप्लॉइज को वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्क की सुविधा दें, ताकि उन्हें भी ऑफिस तक पहुंचने में परेशान न हो। एंप्लॉइज वर्क फ्रॉम होम करेंगे तो आपको भी अपेक्षाकृत छोटे ऑफिस की जरूरत होगी। ऑफिस छोटा होना से न केवल किराया कम लगेगा, बल्कि बिजली, पानी या अन्य मेंटीनेंस में कम खर्च होगा। क्लाइंट्स को भी जितना हो सके, वेब कॉन्फ्रेंस पर या फोन पर निपटाने की कोशिश करें।
बहुत से छोटे बिजनेस ओनर्स चीजों को चलाए रखने के लिए अपने नाम पर लिया गया बिजनेस क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं। अगर आपके पास भी कोई क्रेडिट कार्ड है तो हर महीने इसका पूरा भुगतान कर दें। दरअसल क्रेडिट कार्ड में इंटरेस्ट यानी की ब्याज काफी लगता है और एक बार आपको इसके भुगतान की आदत हो गई तो फिर आप इसे रोक नहीं पाएंगे। इसलिए ब्याज में पैसा न लुटाएं और हर साल हजारों रुपए की बचत करें। साथ ही कोशिश करें कि क्रेडिट कार्ड की बजाय डेबिट कार्ड का इस्तेमाल हो।