चाहे कोई सर्च इंजन हो या सोशल नेटवर्क या कोई डेटिंग ऐप, हर यूजर फ्री-टु-यूज सर्विस पसंद करता है। हालांकि, अधिकतर निवेशक इन फ्रीबीज को लेकर उत्साहित नहीं रहते। निवेशक उन स्टार्टअप्स में निवेश करना चाहते हैं जिनके पास कीमत चुकाने वाले यानी पे करने वाले कस्टमर्स होते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका बिजनेस आइडिया कितना बेहतरीन है, आपको अपने स्टार्टअप की वैल्यू बढ़ाने के लिए ऐसे कस्टमर्स की जरूरत होती है जो आपके काम के लिए कीमत चुकाने को तैयार हों। निवेशकों को आप तक लाने के लिए यह जरूरी होता है। अगर आपके पास पे करने वाले कस्टमर्स हैं तो निवेशक भी आपके पास आएंगे।
आप कितना फंड इकट्ठा कर सकेंगे और आपके बिजनेस की वैल्यूएशन कितनी मजबूत है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि आप किस बिजनेस में हैं और आपकी उस पर कितनी मजबूत पकड़ है ताकि वह काम कर सके। अगर निवेशकों को लगेगा कि आप अपने बिजनेस को समझते ही नहीं हैं और आपको बिजनेस मॉडल की समझ ही नहीं है तो वह कभी आपके स्टार्टअप में निवेश नहीं करेंगे। वहीं, आप अपने बिजनेस मॉडल की समझ से निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं और अपने स्टार्टअप की वैल्यूएशन बढ़ा सकते हैं। अत: अपने बिजनेस मॉडल को अच्छी तरह समझें।
एक नए स्टार्टअप के लिए जरूरी है कि कस्टमर्स उसके बारे में जानते हों, तभी वह उसके प्रोडक्ट्स या सर्विसेज का इस्तेमाल करेंगे। ब्रांड अवेयरनेस और रिकॉल किसी भी स्टार्टअप के लिए जरूरी होते हैं। हालांकि, जरूरी नहीं है कि हर स्टार्टअप मार्केटिंग पर लाखों, रुपए खर्च करे। वर्ड ऑफ माउथ, पीआर से भी ऐसा किया जा सकता है। हमेशा याद रखें कि कोई भी निवेशक आपके स्टार्टअप में तभी निवेश करता है जब कस्टमर्स के बीच आपकी पहचान होती है।
निवेशक जब यह देखते हैं कि किसी स्टार्टअप को पहले कई बार फंडिंग मिल चुकी है, तब वह उसमें ज्यादा रुचि दिखाते हैं। पहली फंडिंग से यह साफ हो जाता है कि आपके स्टार्टअप पर आपके पिछले निवेशकों को भरोसा है कि वह अच्छा करेगा। नए निवेशक भी ऐसे स्टार्टअप में निवेश करने का मौका गंवाना नहीं चाहते। ध्यान रखें कि जिस तरह बिजनेस वल्र्ड में पैसा, पैसे को खींचता है, उसी तरह बिजनेस वल्र्ड में निवेशक भी निवेशकों को खींचते हैं।
पहली बार सोचने में किसी भी बिजनेस को कॉपी करना आसान लगता है लेकिन ऐसा होता नहीं है। अगर आप किसी ऐसे क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करते हैं जहां पहले से ही कस्टमर्स की भीड़ है तो आपको फंडिंग जुटाने में मुश्किल होती है क्योंकि वहां आगे बढऩे के मौके सीमित होते हैं। वहीं, नए क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने पर आपको निवेशकों और कंज्यूमर्स को समझाना होता है कि आपका बिजनेस आइडिया बेहतरीन है और आपको निवेशकों द्वारा फंडिंग मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं।
अपनी फंडिंग का बड़ा हिस्सा खर्च करके कोई भी एंटरप्रेन्योर अच्छा-खासा रेवेन्यू दिखा सकता है। डिस्काउंट्स, सेल्स और फ्रीबीज खरीदारों को आकर्षित करने और रेवेन्यू को बढ़ाने के आसान तरीके हैं। हालांकि, सिर्फ रेवेन्यू पर फोकस करने और मार्जिन, प्रॉफिट और कैश फ्लो के बारे में नहीं सोचने की वजह से आपका स्टार्टअप फेल हा सकता है। निवेशक उसी स्टार्टअप में निवेश करना पसंद करते हैं जो अपने बिजनेस में रेवेन्यू के साथ-साथ अच्छा प्रॉफिट भी दिखाता है। अत: प्रॉफिट पर भी ध्यान जरूर दें।
आपके स्टार्टअप को शुरू हुए कितना समय हुआ है? आप अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले में कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं? अगले 1 या 2 साल में आपकी कंपनी किस ओर जाती दिखाई दे रही है? आपके स्टार्टअप की वैल्यूएशन करते वक्त निवेशक आपसे यह कुछ सवाल जरूर पूछते हैं। इन निवेशकों के लिए उस स्टार्टअप में निवेश करना सबसे बेहतर होता है जो अपनी इनिशियल स्टेज से ही तेजी से आगे बढ़ रहा होता है। इसलिए आप जब भी किसी निवेशक के पास अपने स्टार्टअप में निवेश करवाने के लिए जाएं तब इन सवालों के जवाब पहले से ही तैयार करके जाएं ताकि जब आपसे यह सवाल पूछे जाएं तब आप इनका बेहतर तरीके से जवाब दे सकें और फंडिंग पा सकें। वैसे भी सफलता हासिल करने के लिए पहले से तैयारी कर लेना हमेशा ही बेहतर रहता है।