सूत्रों ने आगे बताया कि सरकार की ओर से हाल ही में शुरू की गई इस प्रक्रिया का नतीजा अगले साल जून में घोषित किया जाएगा। यह प्रक्रिया केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के निर्देश पर शुरू की गई है ताकि केवी स्कूलों का स्तर और सुधारा जा सके।
सूत्रों ने बताया कि रैंकिंग के लिए स्कूलों का निरीक्षण दो बार किया जाएगा और यह अभ्यास अगले साल से शुरू किया जाएगा। रैंकिंग के लिए 1 हजार अंक रखे गए हैं और इसे चार वर्गों में बांटा गया है। जिस स्कूल को 80 प्रतिशत या उससे ऊपर मिलेंगे उसे ‘ए’ कैटेगरी में रखा जाएगा। 60 से 79.9 प्रतिशत मिलने वाले स्कूल को ‘बी’ कैटेगरी में रखा जाएगा। वहीं, 40 से 59.9 प्रतिशत पाने वाले स्कूल को ‘सी’ कैटेगरी में रखा जाएगा, जबकि 40 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले स्कूल को सामान्य श्रेणी में रखा जाएगा।
सभी १ हजार केवी स्कूलों की रैंकिंग शैक्षिक प्रदर्शन (500 अंक) , मूलभूत सुविधाएं (150 अंक) और स्कूल प्रशासन (120 अंक) सहित सात मापदंडों के तहत की जाएगी। यह पहली बार होगा जब देशभर के केवी स्कूलों की आधिकारिक तौर पर रैंकिंग की जाएगी। उल्लेखनीय है कि देश के उच्च शैक्षिक संस्थानों की रैंकिंग राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रमाणन परिषद द्वारा जारी की जाती है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के तहत आने वाली एक स्वायत्त निकाय है। केंद्रीय विद्यालय केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सरकारी स्कूल हैं जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन आते हैं।
केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना मुख्य रूप से सेना, अर्धसैनिक बलों सहित केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी जिनका देश के किसी भी कोने में तबादला किया जा सकता है।