मैनेजमेंट मंत्र

सत्य नडेला से सीखें सफलता के गुर

दुनियाभर में टेक्नोलॉजी के फील्ड में सबसे मशहूर कंपनियों में शुमार माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं सत्य नडेला। वे अपनी मैनेजमेंट और लीडरशिप स्किल्स के लिए काफी मशहूर हैं। उनके जीवन से सीखते हैं सफलता के कुछ खास गुर।

Jul 15, 2019 / 01:13 pm

Jitendra Rangey

Satya Nadella

इनोवेशन से लैस निर्णयों से टेक्नोलॉजी की दुनिया को प्रभावित किया
19 अगस्त 1967 को हैदराबाद में जन्मे सत्य नडेला माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं। उन्होंने अपने इनोवेशन से लैस निर्णयों से टेक्नोलॉजी की दुनिया को काफी प्रभावित किया है। सत्य हमेशा से ही नवाचार को जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी मानते हैं। वह कहते हैं कि मुझे शुरू से ही पता था कि मेरी नई चीजों को क्रिएट करने में रुचि है। वह मशीनों को इंसान के दोस्त के रूप में देखते हैं। वह काम के दौरान कोलाबोरेशन को भी काफी महत्व देते हैं। वह जीवन में सबसे ज्यादा नई स्किल्स सीखने पर जोर देते हैं। वे युवाओं को लगातार प्रयोग करने की सलाह भी देते हैं। उनके पिताजी बुक्कापुरम नडेला युगेंद्र भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे। उनकी मां संस्कृत की प्रोफेसर थीं।
जीवन में जो मिला, उससे सीखा
शुरुआती दौर में सत्य प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना चाहते थे, पर बाद में उन्हें महसूस हुआ कि उनका पैशन साइंस और टेक्नोलॉजी है। वह कहते हैं कि मैंने क्रिकेट से सीखा, उर्दू भाषा से सीखा। मुझे जो भी जीवन में मिला, मैंने उससे सीखा। नडेला ने 1988 में मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग में बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की। वह यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी से कम्प्यूटर साइंस में एमएस की पढ़ाई करने के लिए वह अमरीका गए। उन्होंने शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया।
आइडिया सोचें, पीछा करें और साकार करें
सत्य को अमरीकन और भारतीय कविताएं काफी पसंद हैं। उन्होंने एक किताब ‘हिट रिफ्रेश’ भी लिखी है। यह उनके जीवन और कॅरियर के बारे में बताती है। इस पुस्तक से होने वाली कमाई उन्होंने परोपकार के कार्यों में खर्च करने का निर्णय लिया है। वह कहते हैं कि हमें कई बड़ी सफलताएं मिलती जाती हैं, पर हमारा भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि चीजों का किस तरह से आविष्कार करते हैं। वह आइडिया सोचने, उसका पीछा करने और उसे साकार करने में भरोसा करते हैं।
इनोवेशन को मिलता है सम्मान
माइक्रोसॉफ्ट में अपने काम के पहले वर्ष में ही उन्होंने सहकर्मियों और बॉसेज का दिल जीत लिया। वर्ष 1999 में वाइस प्रेसीडेंट के रूप में पहला एग्जीक्यूटिव रोल मिला। उन्होंने ऑनलाइन सर्विस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और एक्सबॉक्स लाइव गेङ्क्षमग सर्विस के फील्ड में शानदार काम किया। सत्य कहते हैं कि हमारी इंडस्ट्री परंपराओं का सम्मान नहीं करती है। यह सिर्फ इनोवेशन का सम्मान करती है। वर्ष 2014 में वह माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बने। उन्होंने कंपनी में नवाचार को प्रोत्साहित किया।
सबसे अच्छा कोड है कविता
सीईओ बनने के बाद सत्य ने एम्प्लॉइज के नाम एक चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने लिखा कि मैं 46 साल का हूं। मेरी शादी को 22 साल हो चुके हैं। परिवार और जीवन के अनुभवों के आधार पर ही मेरी सोच बनी है और इसी आधार पर मैं काम करता हूं। जिज्ञासा और ज्ञान की भूख मुझे परिभाषित करती है। वह प्रोग्रामिंग कोड की तुलना कविता से करते हैं। उनके मुताबिक सबसे अच्छा कोड कविता है। टेक इंडस्ट्री में अपनी सीमाओं से परे जाना महत्वपूर्ण है।
सफर आसान नहीं था
कंपनी की जिम्मेदारी आने के बाद सत्य ने कई जरूरी बदलाव किए। उन्होंने एप्पल आइपैड के लिए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस रिलीज किया। उन्होंने फस्र्ट क्लास आइफोन और एंड्रॉयड ऐप जैसे माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक पेश किया। उन्होंने कंपनी का पहला लैपटॉप माइक्रोसॉफ्ट सरफेस बुक पेश किया। वह कहते हैं कि विश्वास करें, मेरा यह सफर भी आसान नहीं था।
बहुत ज्यादा किताबें खरीदते हैं
सत्य ने सन माइक्रोसिस्टम्स में भी काम किया। उन्होंने जब माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ज्वॉइन की, तब सिर्फ 30 भारतीय प्रवासी कंपनी में काम करते थे। उनको हैदराबादी बिरयानी बनाने में महारत हासिल है। वह बहुत किताबें खरीदते हैं। वह कहते हैं कि मैं जितनी किताबें पढ़ पाता हूं, उससे ज्यादा खरीद लेता हूं।

Hindi News / Education News / Management Mantra / सत्य नडेला से सीखें सफलता के गुर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.