अजय बहादुर सिंह ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि मेरे प्रयासों के नतीजे आ रहे हैं। इस साल सभी 14 छात्रों ने नीट उत्तीर्ण किया है और मुझे भरोसा है कि वे राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट प्राप्त करेंगे। अजय आने वाले सालों में छात्रों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाले फांउडेशन में शामिल छात्रों की कुछ प्रेरणादायी कहानियां हैं।
नीट में अखिल भारतीय स्तर पर 15,295 रैंक हासिल करने वाले कृष्णा मोहंती ने कहा, मेरी मां जीवन निर्वाह के लिए इस्कॉन मंदिर के पास ‘काकरा पीठा’ (एक मीठा तला हुआ केक) बेचती है। मेरे पिता की सडक़ दुर्घटना में मौत हो गई। उस समय मैं छठीं कक्षा में था। 12वीं करने के बाद मैं मेडिकल शिक्षा का अध्ययन करना चाहता था, लेकिन मेरी शिक्षा में सहयोग के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। अजय सर ने सपनों को साकार करने में मेरी मदद की।
अनिरुद्ध नायक ने भी अपनी कहानी बताई। वह कटक जिले के नरसिंहपुर इलाके के रहने वाले हैं। अनिरुद्ध ने कहा, मैं हमेशा से एक चिकित्सक बनना चाहता था और लोगों की सेवा करना चाहता था। लेकिन मेरे परिवार की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है और मेडिकल शिक्षा के लिए मैं कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकता। मेरे पिता हैदराबाद में होटल सुपरवाइजर हैं। नायक ने बीजेबी जूनियर कॉलेज से 12वीं में 83 फीसदी अंक हासिल किया है। वह जिंदगी के प्रवेश परीक्षा में चयनित हुए, जहां उन्हें मुफ्त रहने व खाने के साथ मेडिकल कोचिंग मिली। नायक ने नीट में अखिल भारतीय स्तर पर 5,562 रैंक हासिल किया है।