सीखने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए आवश्यक है कि वह कम से कम समय और मेहनत के जितना अधिक से अधिक हो सके, सीखे
आप अपनी मुश्किलों से
सीखने में व्यर्थ समय गंवाने की बजाय कि ताबों से सीधे उन समस्याओं के समाधान सीख
सकते हैं। इसके लिए आपको महज इतना करना है कि आप जो भी किताबें उपलब्ध हैं, उन्हें
पढ़ें। सीखने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए आवश्यक है कि वह कम से कम समय और मेहनत
के जितना अधिक से अधिक हो सके, सीखे। खाई को पाटने में भी किताबें अहम भूमिका
निभाती हैं।
अमतौर पर एक अच्छी किताब लिखने में पांच महीने से पांच साल तक
लग जाते हैं। एक अच्छी शोध आधारित किताब लिखने में 10 से 20 साल तक लग सकते हैं।
मसलन, 1937 में प्रकाशित नेपोलियन हिल की प्रसिद्ध किताब “थिंक एंड ग्रो रिच” उस
समय के विश्व के सर्वाधिक सफल लोगों पर एक व्यापक शोध के बाद 22 साल बाद छपी थी। यह
एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था, जिसमें एक सफल बिजनेसमैन ए ंड्रयू कार्नेगी के आग्रह
पर सहयोग किया गया था। किताब लिखना एक संजीदा काम है, जिसके माध्यम से लेखक अपने
सालों के ज्ञान को अपनी पुस्तक के माध्यम से दुनिया से साझा करता है।
लेकिन
आप मुझे बताएं कि आप एक महीने, तीन महीने या एक साल में कितनी किताबें पढ़ते हैं?
एक शोध के मुताबिक, पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय पढ़ने के लिए उतने तत्पर
नहीं हैं। यदि आप टेलीविजन देखने के समय में कुछ कटौती करें और उसका इस्तेमाल पढ़ने
में करें, तो आप हर 15 दिनों में नॉर्मल साइज की बेस्टसेलर बुक पूरी कर सकते हैं।
मैं सोचता हूं कि मात्र 15 दिनों में आप उस शानदार ज्ञान को हासिल कर सकते हैं,
जिसे पाने में लेखक ने सालों लगाकर किताब की रचना की। फिर भी लोग किताबें क्यों
नहीं पढ़ते? क्यों पढ़ने की आदत अतीत की बात हो रही है? किताबों को पढ़ने की कोशिश
करने की बजाय क्यों हम टेलीविजन के सामने समय बिताना या फेसबुक और वाट्सअप पर बने
दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाना अधिक चुनते हैं। हमने बतौर समाज हमेशा शिक्षा से अधिक
मनोरंजन को तरजीह दी है।
कहने का मतलब यह है कि हालांकि हम सब कमाने और
बेहतर जीवन के लिए शिक्षा की जरूरत को समझते हैं और उसकी तारीफ भी करते हैं, लेकिन
जब बात मनोरंजन की आती है, तो शिक्षा की हमियत को अनदेखा कर देते हैं और उससे हल्के
विकल्प चुनते हैं, जो बाद में काफी तकलीफ देते हैं। मैंने खुद ने देखा है कि जब लोग
सुपठित होते हैं, वे अपने वैयक्तिक और व्यावसायिक जीवन में बेहतर काम करते हैं,
क्योंकि वे नई बातें सीखते रहते हैं, जिसे दूसरे नहीं सीख पाते, क्योंकि वे पढ़ते
नहीं हैं। पाठक विश्व प्रसिद्ध तकनीकों का प्रयोग करने में भी अच्छे होते हैं,
जिन्हें उन्होंने किताबों से सीखा है।
यदि आपको कभी पास के किसी पुस्तकालय
में जाने का मौका मिले, तो देखकर हैरानी होगी कि हर विषय पर बहुत ही शानदार किताबें
लिखी हुई हैं। उन हर समस्या पर किताबें हैं, जो कभी आपके जीवन में आ सकती हैं।
इनमें मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का समाधान है, जिनसे आपको कभी दो-चार होना पड़
सकता है। आप अपनी मुश्किलों से सीखने में व्यर्थ समय गंवाने की बजाय किताबों से
सीधे उन समस्याओं के समाधान सीख सकते हैं।
इसके लिए आपको महज इतना करना है
कि आप जो भी किताबें उपलब्ध हैं, उन्हें पढ़ें। सीखने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए
आवश्यक है कि वह कम से कम समय और मेहनत के जितना अधिक से अधिक हो सके, सीखे। खाई को
पाटने में भी किताबें अहम भूमिका निभाती हैं। हालांकि किताबें पढ़ना ही एक मात्र
विकल्प नहीं है, आपको ज्ञानार्जन के अन्य व्यावहारिक माध्यमों की भी जरूरत पड़ेगी।
यह तो तय है कि …पढ़े सो पंडित होय। अच्छी किताबें पढ़ने वाला सबमें ज्ञानी,
श्रेष्ठ और अग्रणी है। बेशक, रीडर इज लीडर!
आनंद मुंशी
मोटिवेशनल स्पीकर और
मैनेजमेंट गुरू
(ये लेखक के अपने विचार हैं)